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________________ ७. जन्म-राशि : मिथुन राशि । ८. जन्म-नक्षत्र : मृगशिरा नक्षत्र । ६. देह का वर्ण : स्वर्ण (सोना) के समान वर्ण और और रूप रूप आहारक देहरूप से भी अधिक। . . १०. आकृति : महान् तेजस्वी, महान् प्रभावशाली। ११. ऊँचाई : सात हाथ । १२. संघयण : वज्रऋषभ नाराच संघयण । १३. संस्थान : समचतुरस्र संस्थान । १४. व्यवसाय : अध्यापन कार्य एवं अनुष्ठान क्रिया आदि । १५. ज्ञान : गृहस्थावस्था में चौदह विद्या के पारगामी तथा दीक्षावस्था में सम्यग्मतिज्ञानादि चार ज्ञान के बाद पंचम केवलज्ञान। १६. ज्ञान का : गृहस्थावस्था में 'सर्वज्ञोऽहम्' अर्थात् अभिमान 'मैं सर्वज्ञ हूँ' ऐसा अभिमान था। १७. संशय : 'क्या पुण्य-पाप हैं ?' अर्थात् 'पुण्य पाप हैं कि नहीं ?' यह संशय था । १८. शिष्यगण : ३०० ।
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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