SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . : २७. शास्त्र-रचना : सर्वज्ञ विभु श्री महावीर परमात्मा से त्रिपदी सुन कर अन्तर्मुहर्त में द्वादशाङ्गी (आचारांग आदि बारह आगमसूत्रों) को सम्पूर्ण रचना बीजबुद्धि द्वारा की। २८. गुणसम्पदा : सुसंयम, ज्ञान, ध्यान, तप, विनय, विवेक, क्रिया, तथा सेवा-भक्ति इत्यादि अनेक सद्गुणों के भण्डार थे। २६. लब्धियाँ : केवलज्ञानादि सकल लब्धियों के निधान थे। ३०. केवलज्ञान : ५८ वें वर्ष के प्रारम्भ में केवलज्ञान प्राप्त किया। ३१. केवली पर्याय : २१ वर्ष तक । ३२. अनशन : अन्तिम अवस्था में अनशन पादोप ___ गमन का किया। ३३. संलेखना : अन्तिम अवस्था में संलेखना एक ___ मास के उपवास की की। ३४. कर्मक्षय : चार घाती और चार अघाती सभी कर्मों का सर्वथा क्षय किया। ( ८८ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy