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कर्मों का क्षय कर निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया। मोक्ष में आज भी उनकी सादि अनंत स्थिति प्रवर्त्त रही है और भविष्य में भी सर्वदा ऐसी ही रहेगी।
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卐 आठवें गणधर श्रीअकम्पित है १. नाम : श्रीप्रकम्पित । २. पिताश्री : श्रीदेव । ३. मातुश्री : जयन्तीदेवी। ४. जाति : विप्र (ब्राह्मण)। ५. गोत्र : गौतम गोत्र । ६. जन्मभूमि : मिथिला नगरी ।
७. जन्मराशि : मकर राशि । .. ८. जन्मनक्षत्र : उत्तराषाढा नक्षत्र । ६. देह का वर्ण : स्वर्ण (सोना) के समान वर्ण और
और रूप रूप आहारक देहरूप से भी अधिक।
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