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३३. संलेखना
३४. कर्मक्षय
३५. आयुष्य
३६. निर्वाण
: अन्तिम अवस्था में संलेखना एक मास के उपवास की की ।
: चार घाती और चार अघाती सभी कर्मों का सर्वथा क्षय किया ।
: सम्पूर्ण आयुष्य ८० वर्ष का था । : सम्पूर्ण ८० वर्ष का आयुष्य पूर्ण करके विभु श्री महावीर परमात्मा की विद्यमानता में ही, मगधदेश की राजगृही नगरी के वैभारगिरि पर सकलकर्म का क्षय करके निर्वाण प्राप्त किया ।
मोक्ष में उनकी आज भी सादि अनंत स्थिति प्रवर्त्त रही है और भविष्य में भी सर्वदा ऐसी रहेगी ।
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