________________
38 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
यहाँ हम नीति सम्बन्धी कुछ वाक्य कुरान शरीफ से कर रहे हैं
मूल
* कानऽन्नासु उम्मतँ व्वाहिदतन
- सभी इन्सान एक कौम के हैं ।
* व ला तुफ् सिद्ऽफिऽऽल् अर्दि
- इस दुनिया में फसाद बरपा ( झगड़ा) न करो । *...व असूर लहूऽजात् बैनिकुम्...... आपस में सुलह करो ।
* या अय्यु हऽऽल्लजीन आमनू
लिम तक लूनमाला तफू अलून
- ऐ ईमान वालो ! क्यों कहते हो ऐसी बात जो करते नहीं ।
सहित उद्घृत
*व ला यग्तव बा' दुकुम बादन...
- तुममें से कोई किसी की पीठ पीछे निन्दा न करे । * या अय्युहन्नासु कुलूमिम्माफिऽऽयल आंद * हलाहन तय्यिबन्
- ऐ लोगो ! जमीन की चीजों में से हलाल की चीजें खाओ।
* व ला तन्कुसुऽल मिक्पाल वडल मीजान
- नाप-तौल में कमी न किया करो ।
* व ला तुबज्जिर तबजीरन् 50 - फिजूलखर्ची न करो।
2/213
7/56
व्यवहार नीति की दृष्टि से कुरान शरीफ एक समृद्ध ग्रन्थ है ।
1. तुलना करिए - प्राण जाए पर वचन न जाई। - रामचरित मानस
8/1
61/2
49/12
2/168
11/84
इसी प्रकार कुरान शरीफ में खैरात (दान), भाईचारा आदि की नीति का प्रतिपादन किया गया है। शराब, जुआ, सूदखोरी ( अत्यधिक ब्याज लेना) आदि कार्यों को तथा रिश्वत को शैतान के काम कहकर अनैतिक कार्य घोषित किया गया है।
हलाल और ईमान की रोटी खाने के आदेश में पुरुषार्थ नीति की झलक स्पष्ट है तथा अनैतिकता का निषेध है । कम तौल नाप का निषेध व्यापार नीति का उच्चमान स्थापित करता है ।