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36 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
है, इस तरह लोग धूर्त बन जाते हैं ।' वह समझौते की नीति पर विश्वास करता है और इसी को व्यावहारिक जीवन में उपयोगी समझता है तथा सुख-शांति का राजमार्ग मानता है। 2
इस प्रकार लाओत्से की नीति सरलता, समझौता, किसी की बुराई ( निन्दा) न करना, खुशामदियों से दूर रहना आदि है ।
कन्फ्यूसियस की नीति
चीन का दूसरा महान विचारक कन्फ्यूसियस हुआ । इसका समय भी ईसापूर्व छठी शताब्दी है ।
कफ्यूसियस की नीति का सारतत्व है - भाईचारा, प्रेम और लोकव्यवहार के लिए उसकी नीति है- जो तुम्हें नापसन्द है, वह दूसरों के लिए हरगिज मत करो ।
यह दोनों सिद्धान्त ही कन्फ्यूसियस की नीति के आधार हैं। इन्हीं में उसकी सम्पूर्ण नीति समाई हुई है।
जरथुस्त्र की नीति
जरथुस्त्र फारस के बहुत बड़े विचारक थे। इनका समय ईसापूर्व छठी शताब्दी का है । इनके विचारों का संकलन अवेस्ता नाम के ग्रन्थ में हुआ है इस ग्रन्थ का पारसियों के हृदय में बहुत सम्मान है । यह उनका प्रमुख धर्मग्रन्थ है, जिस प्रकार मुसलमानों का धर्मग्रन्थ कुरान है ।
पारसी धर्म की नीति का प्रमुख आधार मैत्री है, कहा है
'मैं उस मैत्री की याचना करता हूं जो सबसे श्रेष्ठ मैत्री है। ऐसी श्रेष्ठ मैत्री जैसी सूर्य और चन्द्रमा के बीच में है । 1
लोकनीति के सन्दर्भ में मनुष्य के तीन प्रमुख कर्तव्य' बताये गये हैं
1. वही, 57
2. वही, 79
3. तुलना करिये - आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत ।
तथा प्रथम पृष्ठ पर अंकित जैनाचार्य का वचन - जं इच्छसि ... जिणसासणं ।
4. ख्वरशत यश्त 5; उद्धृत - पारसी धर्म क्या कहता है ? श्रीकृष्णदत्त भट्ट |
5. शयस्त ला शयस्त, 20 / 6
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