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________________ 416 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन जैन नीति का भी अभिप्राय ऐसा ही है। अपने किसी भी कार्य की नैतिकता अथवा अनैतिकता के निश्चय के लिए व्यक्ति इन ग्रन्थों में उल्लिखित सिद्धान्तों को प्रामाणिक मानकर अपने व्यवहार का निर्णय कर सकता है। (3) आज्ञाव्यवहार-धर्म सम्बन्धी व्यवहारशास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि किसी विशिष्ट विषय अथवा व्यवहार/आचरण की धर्मानुमोदना के विषय में शास्त्रों के विशेषज्ञ (गीतार्थ) की आज्ञा प्रमाण रूप से स्वीकार कर लेनी चाहिए। गीतार्थ का अभिप्राय उस विषय के विशिष्ट अधिकारी विद्वान से है। नैतिक आचरण की ओर गति/प्रगति करने वाले व्यक्ति के हृदय में भी जब अपने किसी आचरण की नैतिकता के बारे में सन्देह उत्पन्न हो जाय तो उसे भी किसी अधिकारी विद्वान (नीति सम्बन्धी जिसका ज्ञान और आचरण परिपक्व हो) से निर्णय करा लेना चाहिए और उसकी आज्ञानुसार आचरण करना चाहिए। (4) धारणा व्यवहार-द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव का विचार करके विशेषज्ञगीतार्थ श्रमण ने जो निर्णय दिया हो, उसकी धारणा करके वैसा ही निर्णय उन स्थितियों में करना। ___ व्यक्ति के समक्ष ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाय कि उसके द्वारा किये गये आचरण/व्यवहार की नैतिकता को पुष्ट करने वाले प्रमाण न उपलब्ध न हो सकें तो उसे अपनी नीति सम्बन्धी धारणा के अनुसार निर्णय कर लेना चाहिए। (5) जीत व्यवहार-जीत का अर्थ स्थिति, कल्प, मर्यादा और व्यवस्था है। सामान्य शब्दों में इसे परम्परा कह सकते हैं। जब किसी कार्य के निर्णायक स्वरूप उपरोक्त चारों आधारों में से कोई भी उपलब्ध न हो सके तो व्यक्ति को अपने कार्य की नैतिकता, अनैतिकता का निर्णय नैतिक परम्परा के अनुसार कर लेना चाहिए, किन्तु वह परम्परा नैतिक हो, उसमें अनैतिकता का घालमेल न हो। इस प्रकार जैन-नीतिकारों ने नैतिक निर्णय के यह पाँच पुष्ट आधार मानव के समक्ष प्रस्तुत किये हैं। इनके आधार पर वह अपनी वृत्ति-प्रवृत्तियों और क्रियाकलापों की नैतिकता का निर्णय कर सकता है। कार्य-सफलता के उपाय सफलता मानव-मात्र की हार्दिक अभिलाषा है। वह कभी भी और किसी भी कार्य में विफल नहीं होना चाहता। सामान्य धारणा, आज के युग में यह
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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