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समस्याओं के समाधान में जैन नीति का योगदान / 411
धर्म का ऐसा जनून चढ़ा कि जिहाद' और Crusaders के युद्ध होने लगे, रक्त की नदियाँ बहाई जाने लगीं। मानवता संतृप्त हो उठी।
जिस सुख-शांतिपूर्ण जीवन और न्याय-नीतिपूर्ण पारस्परिक व्यवहार की कामना मानव ने की; वह धूल में मिल गई और बदले में मिला उसे समस्याओं का अम्बार।
प्राचीन काल से ही मानव समस्याओं से घिरा हुआ है और आधुनिक युग में तो समस्याएँ इतनी जटिल हो गई हैं कि प्रत्येक मानव ही समस्या मानव Problem man बन गया है, पग-पग पर समस्याएँ हैं, लेकिन सुलझाव नहीं मिलता।
___यह बात नहीं कि मनीषी चिन्तकों ने, धर्म-संस्थापकों ने मानव की समस्याओं के समाधान न खोजे हों। उन्होंने अपनी-अपनी बुद्धि और देशकाल की परिस्थिति के अनुसार समाधान खोजे और मानव के समक्ष प्रस्तुत किये। लेकिन समस्याओं की संस्था और उनकी पेचीदगियों में गुणात्मक वृद्धि होती चली गई। मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की। ____ यहाँ देखना यह है कि जन-नीति मानव की समस्याओं का क्या समाधान सुझाती है।
मानव की समस्याओं को प्रमुख रूप से तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-1. व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, 2. आर्थिक और 3. राजनीतिक। ___ भारत में भी कमोबेश यही स्थिति रही। शुंग सम्राटों ने तो यहाँ तक घोषित कर दिया-एक श्रमण का सिर लाने वाले को एक सौ स्वर्ण मुद्रा का पुरस्कार दिया जायेगा।
प्रो. मैत्र ने जैन संस्कृति पर एक आपेक्ष किया है कि जैन सूची में दूसरों से संबंधित गुणों यथा-परोपकार, सहानुभूति सहायता (आपत्ति में सहायता देना) और समाज सेवा को सम्मिलित नहीं किया गया है। इस से ज्ञात होता है
1. जिहाद अरबी शब्द है और उसका अर्थ है धर्मयुद्ध और अंग्रेजी शब्द Crusade का
अर्थ भी धर्मयुद्ध है। मध्यकालीन एशिया और यूरोप का इतिहास ईसाइयों के Crusade और मुसलमानों के जिहाद से भरा पड़ा है। धार्मिक जनून के कारण दोनों आपस में लड़ते रहे। भारत पर मुस्लिम आक्रमण भी जिहाद का ही एक अंग था।