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396 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
सही स्थिति यह है कि नीतिशास्त्र की विभिन्न परिभाषाएँ दण्ड के विभिन्न सिद्धान्तों से प्रभावित हैं। जो मनीषी दण्ड से जिस सिद्धान्त का समर्थक रहा, उसने दण्ड की वैसी ही परिभाषा निर्धारित कर दी। जहाँ पर जिस कार्य के लिए उसका उपयोग हुआ, वही उसका भावार्थ बन गया। ___अतः दण्ड की परिभाषाओं अथवा स्वरूप को दण्ड के सिद्धान्तों के सन्दर्भ में ही समझा जाना चाहिए। दण्ड के सिद्धान्त (Theories of Punishment)
मनीषियों ने दण्ड के सिद्धान्तों का वर्गीकरण तीन रूपों में किया है1. बदले का सिद्धान्त, 2. निवर्तनात्मक सिद्धान्त, और 3. सुधारात्मक सिद्धान्त।
(1) बदला लेने का सिद्धान्त (Retributive Theory) इस प्रकार के दण्ड में प्रतिशोध की भावना प्रमुख होती है। Old Testament में इस सिद्धान्त को आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत (an eye for an eye and a teeth for a teeth) कहकर बतलाया गया है।
अरस्तू इस प्रकार के दण्ड को ऋणात्मक पुरस्कार (Negative reward) कहता है। हौगेल, काण्ट, ब्रैडले आदि इसी सिद्धान्त के समर्थक हैं।
जेम्स स्टीफेन कहता है-“दण्ड और प्रतिकार का वही सिद्धान्त है जो प्रेम और विवाह का है।"
ये सभी विचारक दण्ड को प्रतिकार मानते हैं।
बोसांके ने इस सिद्धान्त की दो विशेषताएँ बताई हैं, प्रथम-दण्ड अपराध के बराबर होना चाहिए और दूसरी व्यक्तिगत बदले (revenge) को दण्ड के साथ मिला दिया जाता है।
इस सिद्धान्त के दो रूप हैं-कठोर और मृदु । कठोर सिद्धान्त के समर्थक कठोर दण्ड देना उचित समझते हैं और मृदु सिद्धान्त के समर्थक मृदु अथवा हल्का दण्ड देने में विश्वास करते हैं।
यह सिद्धान्त दोषपूर्ण है, क्योंकि बदले की भावना व्यक्ति में सुधार की भावना की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ती अपितु हिंसा तथा अराजकता का वातावरण निर्मित करती है। 1. डॉ. रामनाथ शर्मा : नीतिशास्त्र के सिद्धान्त, पृ. 317 2. Criminal procedure is to resentment what marrige is to affection.
-Sir James Stephen