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अधिकार - कर्त्तव्य और अपराध एवं दण्ड / 387
इसका अभिप्राय है कि देश, समाज, राष्ट्र और विश्व की प्रगति तथा उन्नति में सहायक बनना प्रत्येक नैतिक व्यक्ति का कर्तव्य है ।
( 6 ) प्रामाणिकता का सम्मान (Respect for Reliability)
प्रामाणिकता व्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण गुण है । इसका अभिप्राय है - वचन - पालकता । जो भी वचन दिया जाये उसका उसी रूप में पालन किया जाना चाहिए। रामायण की वह सूक्ति कितनी प्रसिद्ध है
प्राण जायं पर वचन न जाहीं ।
महान व्यक्तियों का यह विशिष्ट गुण होता है ।
सामान्य नैतिक व्यक्ति का भी कर्तव्य है कि वह स्वयं प्रामाणिक बने और प्रामाणिक व्यक्तियों का सम्मान करे, साथ ही अपने पुत्र-पुत्री आदि परिवारीजनों तथा इष्टमित्रों एवं सम्पर्क में आने वाले अन्य व्यक्तियों को भी प्रामाणिक बनने की प्रेरणा दे ।
प्रामाणिक व्यक्ति विश्वसनीय होता है और साथ ही नैतिक भी ।
( 7 ) स्वतंत्रता का सम्मान (Respect for Freedom )
प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करे । उसे दूसरों की प्रगति, उन्नति और विकास में सहायक बनना चाहिए ।
नीतिशास्त्र में स्वतंत्रता का अभिप्राय राजनीति की अपेक्षा विस्तृत आयाम लिए हुए है। राजनीतिक स्वतंत्रता तो केवल अन्य देशों की दासता से मुक्ति तक ही सीमित है तथा इसमें व्यक्ति के नागरिक अधिकारों की गणना की जा सकती है । किन्तु नैतिक स्वतंत्रता में आर्थिक नागरिक, राजनैतिक सभी प्रकार की स्वतंत्रताएँ समाहित हैं
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नैतिक दृष्टि से स्वतंत्रता के कर्तव्य में किसी व्यक्ति का आर्थिक, सामाजिक शोषण करना, अनुचित दबाव (pressure) डालना आदि सभी ऐसे कार्य निषिद्ध हैं, जिनसे व्यक्ति की किसी भी प्रकार की उन्नति और उसकी सदिच्छा में बाधा पड़े ।
इन सन्दर्भ में काण्ट का नैतिक सूत्र है - "मनुष्यत्व को अपने तथा दूसरे के अन्दर सदैव साधन समझो, साध्य नहीं ।" 1
1. उद्घृत, जे. एन. सिन्हा : नीतिशास्त्र, पृ. 273