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________________ जैन नीति और नैतिक वाद / 377 जहां तक छूआछूत अथवा जातिवाद का सम्बन्ध है, जैन दर्शन भी. जातिवाद को नहीं मानता। उत्तराध्ययन सूत्र में स्पष्ट कहा गया है कि जाति की कोई विशेषता नहीं है। यह स्पष्ट है कि गांधीजी के जीवन पर जैन धर्म का गहरा प्रभाव रहा है। यद्यपि उन पर गीता का भी विशिष्ट प्रभाव था और वह उनकी प्रिय पुस्तक रही किन्तु साथ ही रस्किन के Unto the Last का भी उन पर प्रभाव था। यह जैन धर्म का ही प्रभाव था कि अहिंसा उनकी रग-रग में समा गई थी और यह उनका जीवन, आचार, धर्म सब कुछ बन गई। गाँधी जी ने नीति के सर्वोच्च साधनों में सत्य और अहिंसा को ही माना है। वे अत्याचारी शासक का विरोध भी अहिंसात्मक ढंग से करना उचित मानते थे। लेकिन उनकी अहिंसा कायरों की अहिंसा नहीं थी। उनके विचार से राजनीतिक और आर्थिक नियम नैतिक नियमों द्वारा नियमित संचालित और यहां तक कि इनके अन्तर्गत हो होने चाहिए। यदि राजनीतिक और आर्थिक नियम नैतिक नियमों के विरोधी हों तो उनकी दृष्टि में उनका विरोध करना उचित है। अपने इसी नैतिक निर्णय के अनुसार उन्होंने दांडी यात्रा करके नमक कानून तोड़ा था तथा ब्रिटिश साम्राज्यवाद का विरोध किया था। मानवता गांधी जी की नीति का अन्य प्रमुख प्रत्यय रहा। मानवता पद-दलित न हो, मानवीय वृत्तियों का सर्वतोमुखी विकास हो, इसीलिए वे अनैतिक शासन के विरोधी रहे। ऐसी सरकार को वे कर देना भी अनुचित मानते थे। इसीलिए उन्होंने चौरी चौरा के किसानों को कर न देने की प्रेरणा दी। आर्थिक क्षेत्र में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि जहां तक मनुष्यों (मानव-श्रम) से काम चल सके वहां तक मशीनों का प्रयोग उचित नहीं है। इसके आधार में मानव को शोषण, भुखमरी, बेरोजगारी से मुक्त रखने की सदिच्छा थी। क्योंकि बेरोजगारी आदि के कारण अनैतिक प्रवृत्तियों की सम्भावना बढ़ जाती है। न्याय के क्षेत्र में उन्होंने पंचायतों का समर्थन किया तथा धन संरक्षण के क्षेत्र में ट्रस्टीशिप सिद्धान्त का। ग्राम पंचायतों से व्यवस्था सुचारु व न्याय सुलभ हो जाएगा और ट्रस्टीशिप सिद्धान्त से धन-स्वामियों का धन के प्रति 1. न दीसई जाइविसेस कोंइ। -उत्तराध्ययन सूत्र, 12/37
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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