SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 396
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 368 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन शंकराचार्य ने तो स्पष्ट ही कहा हैआत्म लाभ से बड़ा कोई लाभ नहीं है। ऐसे ही विचार सांख्य, योग, वेदान्तादि दर्शनों के हैं। जैन-नीति भी वासनाओं, कषायों आदि का मार्गान्तरीकरण ही उचित मानती है, यहां इसका नाम क्षय दिया गया है। इसके विपरीत दमन अथवा शमन का मार्ग उचित नहीं माना गया; क्योंकि दमित या उपशमित कषायें पुनः दुगुने वेग से उभर आती हैं और वे आत्मा के पतन का कारण बनती हैं। विधानवाद मनुष्य सदा से समूह में रहता आया है। वह समूह से सब कुछ सीखता है और परिपक्व होने पर सिखाता भी है। उसको नैतिकता की शिक्षा भी सर्वप्रथम अपने समूह से ही मिलती है। यह गण, जाति, कुल समाज, राष्ट्र और जनपद आदि अनेक प्रकार के होते हैं। इनमें से प्रत्येक के कुछ निश्चित नियम अथवा विधान होते है, जिन्हें मानना मनुष्य के लिए आवश्यक होता है। यही विधानवाद है। .. ___ गण, जाति आदि को ही विधान अथवा वैधानिक संस्थाएं कहा गया है। यह बाह्य विधानवादी संस्थाएं हैं। वस्तुतः विधानवाद के दो प्रमुख भेद हैं-(1) बाह्य विधानवाद और (2) आन्तरिक विधानवाद। बाह्य विधानवाद के प्रमुख भेद हैं-(1) सामुदायिक विधानवाद (2) सामाजिक विधानवाद (3) राजनैतिक विधानवाद (4) ईश्वरीय विधानवाद। ___1. सामुदायिक विधानवाद का अभिप्राय समुदाय (tribe or community) के नियमों से है। समुदाय के मुखिया के आदेश का पालन ही नैतिकता माना जाता है और आदेश का उल्लंघन ही अनैतिकता। इसका प्रारम्भिक रूप आदिम कबीलों में दिखाई देता है। आधुनिक युग । में श्रमिक संघ (trade union) तथा अन्य विभिन्न सभाओं, एसोसिएशन आदि में इसका सुधरा हुआ रूप दिखाई देता है। सुधरा हुआ इस प्रकार कि किसी समस्या पर सदस्यों को विचार प्रगट करने का अवसर दिया जाता है और उनके विचार सुनकर निर्णय किया गया है; फिर अध्यक्ष या सभापति का ही निर्णय मान्य होता है। 1. आत्मलाभात्परोनान्यो लाभः कश्चिन्न विद्यते -शंकराचार्य : उपदेश सहस्री 16/4
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy