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________________ नीतिशास्त्र की पृष्ठभूमि /7 इसी आधार पर कार्य का औचित्य और अनौचित्य भी निर्धारित होता है। नीति रानी मृगावती को प्राप्त करने की इच्छा से उज्जयिनीपति चंडप्रद्योत ने कौशाम्बी पर आक्रमण कर दिया। भयातिरेक से कौशाम्बीपति राजा शतानीक की मृत्यु हो गई। कौशाम्बी अनाथ हुई और रानी मृगावती के सिर से पति की छाया उठ गई। विचित्र अनपेक्षित स्थिति सामने आ गई। इतने पर भी रानी मृगावती ने अपना विवेक बनाये रखा। राजा चण्डप्रद्योत के कामक प्रस्ताव के उत्तर में उसने कहलवाया-पति का शोक दूर होने में अभी कुछ समय लगेगा, तब तक आप कौशाम्बी की रक्षा प्राचीर मजबूत करा दीजिए ताकि कोई बाहरी शत्रु आक्रमण कर घुसने की हिम्मत न कर सके। इसके बाद ही आपके प्रस्ताव पर विचार करने की मनःस्थिति बन सकेगी। चंडप्रद्योत को आशा बँधी। उसने रक्षा प्राचीर मजबूत करा दी। रानी सुरक्षित हो गई। कौशाम्बी की प्रजा की भी रक्षा हो गई। • रानी अपने सदाचरण से डिगना तो चाहती ही नहीं थी। वह श्रमण भगवान महावीर के आगमन की प्रतीक्षा करने लगी जिससे वह स्वयं तो उत्थान के मार्ग पर आगे बढ़े ही, साथ ही तीर्थंकर महावीर के अमोघ प्रभाव से चंडप्रद्योत की दृष्ट वृत्ति भी शान्त हो जाय। ____ भगवान महावीर आये। उनके सत्संग से रानी की इच्छा सफल हुई। प्रद्योत की दुष्ट वृत्ति शान्त हो गई। वह सुधर गया। उसने स्वयं रानी मृगावती को दीक्षा की अनुमति दी और उसके बालपुत्र उदयन का राजतिलक कर दिया। ___रानी मृगावती का निर्णय विवेकपूर्ण और उत्तम कोटि का था। वह पूर्णतया नीतिसम्मत था। अनीति अनीति करने वाले व्यक्ति की प्रवृत्ति दुर्योधन के समान होती है जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्तिः जानाम्यधर्म न च मे निवृत्तिः 1. देखिए लेखक का भगवान महावीर : एक अनुशीलन ग्रन्थ, पृ. 482
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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