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________________ नैतिक चरम / 297 मानव स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है। श्रमण की ये तीनों विशेषताएं-(1) सम, (2) शम और (3) श्रम, नीति-के दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। समभाव में रहने वाला व्यक्ति ही नीति का पालन कर सकता है, व्यक्ति यदि किसी के प्रति राग और किसी के प्रति द्वेष के व्यामोह में फंस गया तो वह किसी एक का प्रिय करेगा और दूसरे का अप्रिय। ऐसी दशा में वह एक अनैतिक व्यक्ति को भी लाभ पहुंचा सकता है, और दूसरे नैतिक व्यक्ति को हानि भी। तब उसकी नैतिकता कहां सुरक्षित रहेगी? इसीलिए श्रमण में स्वभाव अनिवार्य है। शम की नैतिकता तो और भी स्पष्ट है। शम का अभिप्राय है-क्रोध आदि कषाय-मानसिक संक्लेशों का अभाव-उपशमन। संसार में जितने भी प्रकार की अनैतिकताएं हैं या की जाती हैं, उन सभी के मूल में कषाय ही हैं। कषाय का तनिक-सा आवेग भी मन-मस्तिष्क में आया कि मानव नैतिकता से गिरा, उसका आचरण व्यवहार सभी कुछ अनैतिक हो गया। श्रम का महत्व सर्वविदित है। जिस व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में श्रम की महत्ता प्रतिष्ठित हो जाती है, अनैतिकता स्वयं ही पलायन कर जाती है। जब व्यक्ति को विश्वास हो जाता है कि अपने किये कर्मों का फल मुझे ही भोगना पड़ेगा कि वह स्वतः की प्रेरणा से ही अनैतिकता का त्याग कर देता है। इसीलिए श्रम में विश्वास करने वाले व्यक्ति अधिक नीतिनिष्ठ होते हैं। श्रम का दूसरा महत्व है-पुरुषार्थ जाग्रत करना। पुरुषार्थवाद बनाम भाग्यवाद नैतिकता और नीतिशास्त्र का प्रमुख वाद भी है और प्रत्यय भी। भाग्य के भरोसे रहने वाला व्यक्ति अकर्मण्य और आलसी बन जाता है; जबकि पुरुषार्थवादी सतत कर्तव्यशील और उद्यम में निरत। कर्तव्यशीलता को नीतिशास्त्र में शुभ प्रत्यय कहा गया है। नैतिकता के लिए यह आवश्यक-मूलभूत बिन्दु है। जैन ग्रंथों में श्रमण के लिए कहा गया है सममणइ तेण सो समणो' 'सममणई' शब्द की व्याख्या करते हुए आचार्य हेमचन्द्र ने कहा है-सममणती त्ति-तुल्यंवर्तते यतस्तेनासौ समण इति। जो सब जीवों के 1. Man is the maker of his destiny. --Swami Vivekanand. 2. अनुयोगद्वार सूत्र, उपक्रमाधिकार 3. उद्धृत, उपाध्याय अमरमुनि : श्रमण सूत्र, पृष्ठ 55
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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