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________________ 270 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन के लिए विवश होना पड़ता है। इनमें से प्रमुख कारण हैं-(1) बेरोजगारी (2) भुखमरी आदि। ___ आज समाज में धनी व्यक्ति का ही सम्मान अधिक होता है। गुणों के स्थान पर धन की पूजा होने लगी है। यह भी मानव को चोरी के लिए उत्साहित करता है। यही कारण है कि आज के युग में चोरी के इतने उपाय और प्रकार प्रचलित हो गये हैं कि उनकी गणना भी सम्भव नहीं है। इसके अतिरिक्त विडम्बना यह है कि चोरी के नये-नये तरीके ईजाद हो रहे हैं। लेकिन जैन विचारणा में चोरी के सभी प्रकार निन्दनीय माने गये हैं। वह केवल नीतिपूर्ण ढंग से उपार्जित धन की इजाजत देता है, उसी का संग्रह गृहस्थ कर सकता है। किन्तु गांधीजी ने चोरी की परिभाषा को अधिक विस्तृत रूप में माना है। वे कहते हैं-आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह चोरी है। आवश्यकता से उनका अभिप्राय जीवन की वे अनिवार्य आवश्यकताएं हैं जिनके अभाव में जीवन चल ही न सके, सादा जीवन में भी बाधा उत्पन्न हो जाय। शास्त्रीय मर्यादा के अनुसार (1) चोरी की वस्तु खरीदना, (2) चोरी के लिए प्रोत्साहन देना, (3) माप तौल मे गड़बड़ी करना, कम देना, ज्यादा लेना, (4) अधिक मूल्य की वस्तु में कम मूल्य की वस्तु मिला देना, (5) तस्करी के लिए विरोधी राज्य में जाना-यह सब चोरी है। __ चोरी किसी भी प्रकार की हो, चाहे सफेदपोश (White collar) चोरी हो अथवा निन्द्य चोरी हो, सभी अनैतिक हैं। नैतिकता की सीमा के नीचे हैं। सभी प्रकार की चोरियां निन्दित, गर्हित और अपयश का कारण हैं, दुर्नीतिपूर्ण आचरण को बढ़ावा देने वाली हैं। इनसे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र का वातावरण दूषित होता है। स्वदार-सन्तोषव्रत __ स्वदारसन्तोष-यह नाम पुरुष की अपेक्षा से है कि वह अपनी विवाहिता स्त्री में ही सन्तोष रखे, अन्य स्त्रियों के लिए मन में भी बुरे विचार न लाये। 1. आधार-गांधीवाणी, पृ. 19 2. (क) 1 तेनाहडे, 2 तक्करपओगे, 3 विरुद्धरज्जातिकम्मे, 4 कूडतुल्ल कूडमाणे, 5 तप्पडिरूवगववहारे। -उपासकदशा 1/6, अभयदेव वृत्ति पृ. 11-13 (ख) D.N. Bhargava : Jaina Ethics, p. 120 (ग) K.C. Sogani : Ethical Doctrines in Jainism, p.84
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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