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________________ नैतिक उत्कर्ष / 265 (5) भक्तपानविच्छेद- अपने आश्रित व्यक्तियों को समय पर भोजन - पानी न देना, अथवा भोजन आदि का निरोध कर देना । इन पाँचों अतिचारों को धार्मिक आचरण की दृष्टि से तो दोष माना ही गया है, साथ ही यह व्यक्ति की नैतिकता को भी बहुत अंश में प्रभावित करते हैं, नैतिक आचरण में गिरावट लाते हैं। नीतिशास्त्रीय दृष्टिकोण से शोषण करना, अन्य व्यक्ति की विवशता का लाभ उठाना, अधिक काम लेकर कम पारिश्रमिक देना, आदि सभी अनैतिक आचरण 'वध' की सीमा के अन्तर्गत आते हैं । 'बंधन' सिर्फ रस्सी या जंजीर का ही नहीं होता, वचन का भी होता है । जिस प्रकार वसुदेवजी को वचन के बंधन में बाँधकर कंस ने उनके पुत्रों की हत्या का घोर अनैतिक कार्य किया था । आधुनिक युग में कर्मचारी को निर्धारित समय से अधिक देर तक रोके रखना भी बंधन ही है । छविच्छेद का अभिप्राय अंगभंग करना तो है ही; किन्तु आजीविका के साधनों को नष्ट कर देना भी छविच्छेद है । छँटनी, तालाबंदी आदि साधनों से श्रमिकों को विवश करना, उन्हें बेरोजगारी के यन्त्र में पीस देना, बेकार कर देना छविच्छेद की सीमा में गिने जायेंगे । 'अतिभारारोपण' आज के युग में ऐसी अनैतिक वृत्ति है जिसका श्रमिक और स्वामी दोनों ही प्रयोग करते हैं । स्वामी अधिक काम लेकर कम वेतन देने पर आमादा रहते हैं तो श्रमिक हड़ताल करके स्वामी को अधिक वेतन देने, सुविधाएँ बढ़ाने को विवश करते हैं। दोनों ही ओर से दबाव समूह (Pressure groups ) बन गये हैं, जो परस्पर एक-दूसरे पर अधिक से अधिक भार डालने को उद्यत रहते हैं । इस प्रकार के द्विवर्गीय संघर्ष का अत्यधिक भार सामान्य जनता पर पड़ता है, वह अनिवार्य आवश्यकताओं से वंचित रह जाती है, सामान्य जनता को अभावग्रस्त जीवन व्यतीत करने को विवश होना पड़ता है। आज की निरन्तर बढ़ती हुई मंहगाई, अत्यधिक करारोपण सामान्य जनता पर अत्यधिक भार डालना ही तो है । प्रस्तुत सन्दर्भ में भक्त-पान विच्छेद का अभिप्राय है, श्रमिक को समय पर वेतन न देना, बीमारी की छुट्टियों का वेतन काट लेना आदि । इसका परिणाम श्रमिक के परिवारीजनों को भी भोगना पड़ता है। धन की कमी से कभी-कभी उनको भूखा भी रह जाना पड़ता है।
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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