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________________ जैन दृष्टि सम्मत - व्यावहारिक नीति के सोपान / 237 ( 15 ) धर्म-श्रवण ' यह सत्य है कि जब समाज में आडम्बर और फैशन का दिखावे का बोलबाला हो, आस-पास के तथा समाज के अन्य व्यक्ति दिखावा करते हों तो नैतिक व्यक्ति का मन भी उस ओर ललचाता है । इस लालच का प्रतिकार करने के लिए आचार्य ने बुद्धि' के आठ गुणों से युक्त होकर धर्म-उपदेश सुनने का सूत्र दिया । धर्म - उपदेश सुनने और उसे हृदय में रमाने से व्यक्ति की बाह्य-मुखी वृत्तियों का परिमार्जन होगा, लालसा कम होगी और उसके स्थान पर संतोष की अभिवृद्धि होगी। जीवन में सुख-शांति की सरिता प्रवाहित होगी और वह नैतिक जीवन व्यतीत करने में सफल होगा। (16-17 ) आहार - विवेक आहार के सम्बन्ध में आचार्य ने दो सूत्र दिये हैं- (1) अजीर्ण होने पर भोजन न करे और (2) नियत समय पर संतोष के साथ भोजन करे । इनमें से प्रथम सूत्र निषेधात्मक है और दूसरा विधेयात्मक । विधि - निषेध में संतुलन स्थापित करना ही आहार - विवेक कहलाता है । यह सत्य है कि आहार प्राणी मात्र की मौलिक आवश्यकता है, संसारी सभी प्राणियों में जो संज्ञाएँ अनादि काल से लगी हुई हैं, उनमें भोजन संज्ञा का प्रमुख और प्रथम स्थान है । लेकिन मानव विकसित चेतना वाला प्राणी है। उसे अपनी बुद्धि का प्रयोग आहार के सम्बन्ध में भी अवश्य करना चाहिए । जैन आचार्यों ने आहार के सम्बन्ध में बड़ा मर्मस्पर्शी चिन्तन किया है । प्रश्नव्याकरण सूत्र में कहा गया है - ऐसा हित-मित भोजन करना चाहिए जो जीवन यात्रा तथा संयम यात्रा के लिए उपयोगी हो तथा जिससे न किसी प्रकार का विभ्रम हो और न ही धर्म की भ्रंशना हो । 1. अष्टभिर्धीगुणैर्युक्ता श्रृण्वानो धर्ममन्वहम् । - योगशास्त्र, 1/51 2. बुद्धि के आठ गुण यह है - ( 1 ) शुश्रूषा (जिज्ञासा) ( 2 ) श्रवण ( 3 ) ग्रहण ( 4 ) धारणा (5) विज्ञान ( 6 ) ऊहा (7) ऊहा अपोहा और ( 8 ) तत्त्वाभिनिवेश । - जैनाचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 249 - योगशास्त्र, 1152 - योगशास्त्र, 1152 3. अजीर्णे भोजनत्यागी । 4. काले भोक्ता च साम्यतः । 5. तहा भोत्तव्व - जहा से जाया माता य भवति । नय भवति विब्भमो, न भंसणा य धम्मस्स ॥ - प्रश्नव्याकरण, 214
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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