________________
( 1 ) अहिंसा महाव्र ; महाव्रत ; ( 4 ) ब्रह्मचर्य (6-10) पांच इन्द्रिय विवेक ; ( 15 ) भाव सत्य ; योग सत्य ; ( 18 ) क्षमा ;
सत्ताईस गुणों का विवेचन ; (2) सत्य महाव्रत ; ( 3 ) अस्तेय महाव्रत ; ( 5 ) अपरिग्रह महाव्रत ; निग्रह ; ( 11-14 ) कषाय(16) करण सत्य ; ( 17 ) ( 19 ) विराग ( 20-22 ) मन-वचनकाय समाहरणता ; ( 23-25 ) ज्ञान - दर्शन - चारित्र सम्पन्नता; वेदना और मारणान्तिक समाध्यासना; बाईस परीषह ; द्वादश अनुप्रेक्षाएँ; दशश्रमण धर्म ; तप तप के बारह भेद ; बाह्य तप के भेद ; आभ्यन्तर तप और उसके भेद ; प्रवचन माता ; समिति ; गुप्ति; स्व-पर-कल्याण; आर्य सुहस्ति का व्यावहारिक निर्णय; निर्धन सेवा की प्रेरणा ; अहिंसा की प्रेरणा ।
7. आत्मविकास की मनोवैज्ञानिक नीति
;
गुणस्थान; पूर्णता की यात्रा; आदर्श और व्यवहार स्थिति ; त्रिविध स्थिति ; गुणस्थान ; गुणस्थानों के नाम ; चेतना के भाव ; कर्म (1) मिथ्यादृष्टि गुणस्थान ; मिथ्यात्व के प्रकार ; (2) सास्वादन गुणस्थान (अधोमुखी वृत्ति) : ( 3 ) मिश्र गुणस्थान ( भटकता विश्वास) सम्यग्दृष्टि गुणस्थान (नैतिक भूमिका पर पदन्यास); ( 5 ) देशविरति गुणस्थान; (6) प्रमत्तविरत गुणस्थान; (7-12 ) गुणस्थान; ( 13 ) तेरहवाँ गुणस्थान सर्वज्ञत्वदशा (जीवन्मुक्त दशा ) ।
( 4 )
336-354