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________________ नैतिक निर्णय / 169 चरित्रवान है अथवा अमुक व्यक्ति दुश्चरित्र है, यह उन व्यक्तियों के चरित्र का मूल्यांकन है। संक्षेप में, नैतिक निर्णय किसी व्यक्ति अथवा कार्य की अच्छाई-बुराई का विश्लेषण करने वाली एक मानसिक क्रिया होती है। (2) नियामकता - नैतिक निर्णय नियामक, आदर्शात्मक अथवा आदेशात्मक होते हैं। आदर्श इस रूप में कि व्यक्ति निर्णय करते समय किसी भी प्रकार का आदर्श अपने मस्तिष्क में रखता है और उस आदर्श के अनुरूप क्रिया का आदेश अपने स्नायुतंत्र को देता है । म्यूरहैड के शब्दों में यह आचरण पर निर्णय से सम्बन्धित है, यह निर्णय कि इस प्रकार का आचरण उचित है या अनुचित |... वह न्यायात्मक निर्णय के विषय के रूप में आचरण से संबंध रखता है । (3) कार्यपरकता - नैतिक निर्णय करते समय किसी नैतिक मान-दण्ड का आधार लेकर किसी कार्य विशेष के औचित्य - अनौचित्य का निर्णय किया जाता है । मैकेंजी के शब्दों में इसका अभिप्राय यह है - 'किसी भी कार्य के अच्छे-बुरे होने का निर्णय करने वाला एक दृष्टिकोण ।" यह दृष्टिकोण ही नैतिक निर्णय का मानदण्ड है। इस प्रकार मूल्यात्मकता, नियामकता और कार्यपरकता नैतिक निर्णय की वे विशेषताएँ हैं, जो इसे अन्य प्रकार के निर्णयों से भिन्न स्वरूप प्रदान करती हैं और एक विशिष्ट उपलब्धि देती हैं । निर्णय-कर्ता नैतिक निर्णय का इतना विवेचन और विश्लेषण हो चुकने पर एक प्रमुख प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है कि इस नैतिक निर्णय को करने वाला कौन है ? विभिन्न नीतिशास्त्रियों ने इसके उत्तर विभिन्न प्रकार से दिये हैं शेफ्ट्सबरी इसे नैतिक समीक्षक (Moral Connoisseur) कहता है, आदम स्मिथ इसे तटस्थ द्रष्टा (Impartial Spectator) नाम देता है । 1. It is concerned with the judgment upon conduct, the judgment that such and such conduct is right or wrong---It deals with the conduct as the subject of the judicial judgment... — Muirhead, J. H. : The Elements of Ethics, p. 19 2. The point of view from which an action is judged to be good or -Mackenzie, J. S.: A Manual of Ethics, p. 112 bad.
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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