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________________ नैतिक निर्णय / 163 नीतिशास्त्र में भी अभिप्राय का बहुत महत्व है। एक शब्द में कहा जाय तो यह नैतिकता का आधार बिन्दु है। डाक्टर को शल्य क्रिया करते हुए रोगी के मर जाने पर भी उसे नैतिक कहा जाता है और कसाई को अनैतिक-इस निर्णय का आधार अभिप्राय ही है; परिणाम एक-सा होने पर भी डाक्टर नैतिक कहलाता है और कसाई घोर अनैतिक। संकल्प, चरित्र और आचरण नैतिक विवेचन में संकल्प, चरित्र और आचरण का विशेष महत्व है क्योंकि मानव के नैतिक जीवन में इन तीनों की बहुत ही अविस्मरणीय भूमिका है। संकल्प (will) मानव की विशेष शक्ति है। यह पशुओं में नहीं पाई जाती। पशुओं के सभी कार्य मूल प्रवृत्तियों के आधार पर होते हैं, दूसरे शब्दों में उनकी प्रेरक मूल प्रवृत्तियां हैं। इसी कारण पशु न तो अपनी इच्छाओं पर निन्त्रण रख सकता है और नही उसके लिए यह सम्भव हो पाता है कि वह अपनी इच्छाओं को अच्छी दिशा में मोड़ सके। इसके विपरीत मानव में अपनी इच्छाओं; अभिलाषाओं पर नियंत्रण करने तथा उचित दिशा में मोड़ने की शक्ति है। इसी शक्ति का नाम संकल्प शक्ति है। 'संकल्प शक्ति का कार्य निर्देशन देना और नियंत्रण करना है, यह केवल सर्जना या रचना का कार्य नहीं करती।' जेम्स सेथ के इन शब्दों का अभिप्राय यह है कि संकल्प मानव के सुनिश्चित भविष्य का मार्ग-निर्देशन करता है तथा लक्ष्य की ओर बढ़ने में सहायक बनता है। चरित्र संकल्प से प्रभावित होता है। अधिक स्पष्ट शब्दों में, जैसा संकल्प होता है, वैसा ही चरित्र बनता है। इसी तथ्य को नोवेलिस के यह शब्द अभिव्यक्त कर रहे हैं-'चरित्र एक पूर्णतया निर्मित संकल्प है।' श्री बार्नन जोन्स चरित्र को आचरण से सम्बन्धित मानकर कहते हैं-'चरित्र आचरण को प्रगतिशील बनाने वाला है।' वास्तव में चरित्र एक बहुत ही विस्तृत आयाम वाला शब्द है। यह मानव के सम्पूर्ण व्यक्तित्व से सम्बन्धित है। चरित्र-निर्माण समाजशास्त्र, मनोविज्ञान और नीतिशास्त्र की प्रमुख पहेली रही है। प्रत्येक शिक्षक, समाज सुधारक, राजनीतिक और सामाजिक नेता चरित्र निर्माण के लिए पुकार लगाते हैं। अब देखें, किसी व्यक्ति का चरित्र निर्माण कैसे होता है ? कौन-कौन से तत्व इसके निर्माण में साधक और बाधक होते हैं।
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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