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नैतिक मान्यताएँ
मानव एक सामाजिक प्राणी है। उसके कर्तव्य ही नैतिक जीवन के आधार हैं। साथ ही नैतिक जीवन के भी कुछ आधाभूत तत्व हैं । जिनके बिना नैतिक जीवन को समझना अति कठिन होता है । इन आधारभूत तत्वों को ‘नैतिक मान्यताएँ अथवा 'नैतिकता की मान्यताएँ' नीतिशास्त्रियों ने कहा है
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ये मान्यताएं हैं - (1) अमरता (2) स्वतन्त्रता और (3) ईश्वर सत्ता की स्वीकृति | सर्वप्रथम काण्ट ने नैतिकता की इन तीन मान्यताओं की व्याख्या और पुष्टि की है।
काण्ट के अनुसार यह मान्यताएँ यद्यपि मानव के बौद्धिक ज्ञान का विस्तार नहीं करतीं, किन्तु व्यवहार में - व्यावहारिक जीवन में यह सामान्य रूप से विषयगत अस्तित्व प्रदान करती हैं । वास्तव में, ये ही अमरता, स्वतन्त्रता और ईश्वर सत्ता को प्रत्यय होने का अधिकार देती हैं, जिनकी सम्भावना भी अन्यथा स्थापित नहीं की जा सकती है ।
वास्तव में, जैसा डीवी ने कहा है- नीतिशास्त्र आचरण का विज्ञान है । मानव जो कुछ भी क्रिया-कलाप अथवा आचरण करता है, चाहे व्यक्तिगत सन्दर्भ में अथवा सामाजिक व्यवहार के रूप में, यदि वह जन-जीवन के
1. The postulates are not theoretical dogmas, but suppositions practically necessary, while then they do not extend our speculative knowledge, they give objective reality to the ideas of speculative in general (by means of their reference to what is practical) and give it a right to concept the possibility even of which it could not otherwise venture to affirm.
-Kant's Selections (Scribners Series, p. 368)