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________________ नीतिशास्त्र की प्रणालियाँ और शैलियाँ / 131 है कि नैतिक नियमों की विवेचना के लिए मनोवैज्ञानिक विश्लेषण होना चाहिए। ____ मानव-मन सुख पाना चाहता है, यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है, इसलिए इसे सुख की खोज करनी चाहिए, यह नैतिक आदर्श है। अतः नैतिक नियम मनोविज्ञान पर आधारित हैं। ____ मनोवैज्ञानिक प्रणाली को क्लार्क, शेफ्टसबरी जैसे सहजज्ञानवादियों (Intutionists) ने भी अपनाया है। वे कहते हैं-मनुष्य में कर्तव्याकर्तव्य का निश्चय करने की एक सहज स्वाभाविक अन्तश्चेतना है। ___ काण्ट ने भी मनोवैज्ञानिक प्रणाली का अनुगमन करके कर्तव्य के निरपेक्ष आदेश (Categorical Imperative) का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। भौतिक और जैविक प्रणाली के समर्थकों की सबसे बड़ी भूल यह है कि वे पशु जगत को मानकर मानव के नैतिक नियमों की व्याख्या करना चाहते हैं। वे भूल जाते हैं कि पशु में नैतिक चेतना का विकास ही कहाँ हुआ है? मानव में विकसित नैतिक चेतना होती है, अतः वही सभी नैतिक नियमों का आधार और केन्द्रबिन्दु है। यह भूल ऐतिहासिक प्रणाली में है। मूल्य तथ्यों से उत्पन्न नहीं होते। उद्गम इतिहास से उनकी प्रामाणिकता (validity) सिद्ध नहीं होती। इस विषय में श्री बालफोर के शब्द द्रष्टव्य हैं___'मुझे सच बोलना चाहिए', इसका यह अर्थ नहीं कि मैंने सच बोला है, बोलता हूं अथवा बोलूंगा। वह उद्देश्य और विधेय में कोई कार्य-कारण सम्बन्ध, सहअस्तित्व अथवा किसी क्रम के सम्बन्ध का द्योतक नहीं है। मनोवैज्ञानिक प्रणाली के समर्थक मनोविज्ञान और नीतिशास्त्र के मौलिक अन्तर को भूल जाते हैं। नीतिशास्त्र आदर्शों का अध्ययन करता है जबकि मनोविज्ञान तथ्यों का। इसी प्रकार नीतिशास्त्र के निर्णय आदेशात्मक और मनोविज्ञान के निर्णय वर्णनात्मक होते हैं। इन दोनों मूलभूत अन्तरों के कारण नीतिशास्त्र के अध्ययन में मनोवैज्ञानिक प्रणाली सफल नहीं हो सकती। 1. I ought to speak truth, for instance, does not imply that I have spoken, do speak, or shall speak the truth, it utters no bond of causation between subject and predicate nor any coexistence nor any sequence. -Belfour, A Defence of Public Doubt, Appendix, On the Idea of a Philosophy of Ethics, p. 336
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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