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98 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
एक ही वस्तु अथवा गुण, जैसे 'प्रसन्नता' में आन्तरिक और बाह्य-दोनों ही प्रकार के मूल्य होते हैं, साथ ही उसका स्वतन्त्र मूल्य भी होता है। ___मूल्यों के विषय में विभिन्न विचारधाराओं में मतभेद हैं। सुखवादी (Hedonists) सुख की प्रतीति को शुभ मूल्य मानते हैं और दुःख की प्रतीति को अशुभ। भौतिकवादी विचारधाराएँ वस्तुओं में मूल्य मानती हैं, जबकि अध्यात्मवादी आत्मा की अन्तर्मुखी परिणति/प्रवृत्तियों में। उनका कथन है, विभिन्न परिस्थितियों में एक वस्तु मूल्यवान होती है जब कि वही वस्तु अमूल्य हो जाती है। जैसे सर्दियों में गर्म कपड़ों का मूल्य होता है, किन्तु गर्मियों में नहीं। ____ अध्यात्मशास्त्री सारे मूल्यों-शुभ (good) और अशुभ (evil) को आध्यात्मिक मानते हैं और भौतिकवादी इन्हें (मूल्यों को) वस्तुओं में ही स्वीकार करने का आग्रह रखते हैं। निष्पक्ष एकतत्ववादी (Neutral Monists) जगत को मूल्यशून्य मानते हैं इसी प्रकार मूल्यों के मानदण्ड (Standards) के बारे में भी विभिन्न विचारधाराओं के अपने-अपने विचार हैं।
अतः पश्चिम के मनीषियों ने मूल्यों और अमूल्य के परीक्षण के लिए एक नये मूल्य मीमांसा शास्त्र (Axiology) का ही निर्माण कर दिया और इसी शास्त्र के अनुसार नीतिशास्त्र के मूल्यों का अशुभत्व, औचित्य, अनौचित्य, श्रेय, प्रेय, सदाचार आदि के नियमों की मीमांसा करने लगे तथा नीतिशास्त्र को मूल्यांकन का विज्ञान ही निर्धारित कर दिया।
यद्यपि मूल्यांकन तो, विशेषरूप से अन्य व्यक्तियों के चरित्र सम्बन्धी मूल्यांकन तो, सभी करते हैं, यह सर्वत्र प्रचलित है, किन्तु इसका एक पृथक शास्त्र के रूप में, गहराई से विश्लेषण पश्चिमी मनीषियों की देन है। वे नीतिशास्त्र को मूल्यांकन का विज्ञान मानते हैं।
उक्त विवेचन से स्पष्ट है नीतिशास्त्र, न्याय और अन्याय का विवेचन करता है, साथ ही न्याय किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है, उन उपायों का भी संकेत करता है। इसी प्रकार कर्तव्य-अकर्तव्य, श्रेय-अश्रेय, सदाचार-दुराचार आदि भी इसके विवेच्य विषय हैं। विवेचन के साथ ही यह सदाचरण आदि के उपाय भी बताता है और इन उपायों को परमशुभ भी प्राप्ति में आवश्यक मानता है। साथ ही मानव को परमशुभ की प्राप्ति के लिए प्रेरणा देता है।
नीतिशास्त्र इन विवेच्य विषयों के साथ-साथ मानव के मूल्यांकन, चरित्र सम्बन्धी मूल्यांकन के लिए ठोस आधार प्रस्तुत करता है। सज्जन, दुर्जन,