________________
नीतिशास्त्र की प्रकृति और अन्य विज्ञान / 85 इन दोनों विज्ञानों के प्रकृति, क्षेत्र, दृष्टिकोण आदि में भी अन्तर है। लेकिन मनोविज्ञान, एक प्रकार से, नीतिशास्त्र की पूर्वभूमिका तैयार करता है, वह बताता है कि मानव-मन में किस प्रकार के संकल्प उठते हैं और वे किन मूल प्रवृत्तियों से उद्भूत होते हैं तथा सामजिक पर्यावरण एवं अनुवंशिकी से किस प्रकार प्रभावित होते हैं।
नीतिशास्त्र सामाजिक पर्यावरण, मानव-संकल्प एवं मूल-प्रवृत्तियों को सुधारात्मक रूप में नियमित करने के आदर्शों का निरूपण करता है। इन आदर्शों को तभी निर्धारित किया जा सकता है, जबकि मूल प्रवृत्ति और संकल्पों की प्रक्रिया का ज्ञान हो। ___ भारतीय दृष्टिकोण इस विषय में स्पष्ट है, वह कोरे यथार्थवाद को उचित नहीं मानता। भारतीय चिन्तन में मानवता का तकाजा यही है कि शुभ संकल्प ही किये जायें।
नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र (Ethics and Economics)
नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र में गहरा सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र मनुष्य की आर्थिक धन-सम्बन्धी क्रियाओं का अध्ययन करता है। आर्थिक संपन्नता एवं विपन्नता का अध्ययन भी अर्थशास्त्र का विषय है। ___ यद्यपि प्रकृति, दृष्टिकोण, क्षेत्र, निर्णय आदि विषयों में इन दोनों में अन्तर है किन्तु जहाँ तक मूल्य (value) का सम्बन्ध है, इन दोनों विज्ञानों में काफी साम्य है। अर्थशास्त्र के मूल्य नैतिक सिद्धान्तों पर आधारित होते हैं।
___ भारतीय दृष्टिकोण में तो नीति प्रमुख है और धन (अर्थ) गौण। आचार्य हेमचन्द्र तथा हरिभद्र सूरि ने मार्गानुसारी के 35 बोलों में स्पष्ट कहा है कि मानव को न्याय नीति से धन का उपार्जन करना चाहिए तथा उसे नीति सम्पन्न होना चाहिए। अनीति अथवा नीति का त्याग करके उपार्जित किये हुए धन को भारतीय संस्कृति में निंद्य माना गया है।
यद्यपि प्राचीन अर्थशास्त्री और पश्चिमी अर्थशास्त्र के जनक एडम स्मिथ (Adam Smith) ने अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान (a Science of Wealth) बताया है किन्तु आधुनिक अर्थशास्त्री इस परिभाषा से संतुष्ट नहीं हैं। वे अब अर्थशास्त्र में नीति के तत्वों का समावेश करना चाहते हैं। जैसा कि एक अर्थशास्त्री अपने विचार व्यक्त करता है