SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नीतिशास्त्र की प्रकृति और अन्य विज्ञान / 81 Fifamilia sitt afach faşta (Ethics and Physical Sciences) भौतिक विज्ञान प्राकृतिक शक्तियों का अध्ययन करते हैं। ये प्राकृतिक विज्ञान (Natural Sciences) हैं। इनके अन्तर्गत भूमिति, प्राकृतिक पर्यावरणों, जल-वायु आदि का अध्ययन सम्मिलित है। यों नीतिशास्त्र और प्राकृतिक विज्ञानों में प्रत्यक्ष रूप से कोई सम्बन्ध नहीं दिखाई देता; किन्तु इनका अपरोक्ष सम्बन्ध है। उदाहरणार्थ वन में जीवन यापन करने वाले एक भील के और शहर के सभ्य मानव के नैतिक आदर्श भिन्न हो सकते हैं। भील सिर्फ नवकार मन्त्र का स्मरण कर सकता है, जबकि शहरी मानव उसका ध्यान, जप आदि भी कर सकता है। इसी तरह अधिक वर्षा वाले और कम वर्षा वाले, पहाड़ी और मैदानी भाग, गांव और शहर के निवासियों के नैतिक आदर्शों में भिन्नता हो सकती है। वनवासी भील न्याय द्वारा जीविका का उपार्जन कैसे करे? एक कारखाने का स्वामी यन्त्रपीलणिया कर्मादान का त्याग कैसे कर सकता है? अकाल, दुष्काल आदि की भी सूचना प्राकृतिक विज्ञानों में ही मिलती है। ऐसे समय में भी नैतिक आदर्श गड़बड़ा जाते हैं। वस्तुतः भौतिक नियमों के ज्ञान से नैतिक आदर्शों में कोई सहायता नहीं मिलती; किन्तु विशिष्ट प्रकार की भौतिक परिस्थितियों में नैतिक जीवन कैसे जिया जा सकता है, इस बात में सहायता अवश्य मिलती है। ___ उदाहरणार्थ-चातुर्मास किसी विशेष क्षेत्र में कब शुरू होगा और कब समाप्त होगा अर्थात् वर्षा के समय का पूर्वज्ञान होने से मानव (साधक) जीवहिंसा से बच सकता है। नीतिशास्त्र और जीवशास्त्र (Ethics and Biology) मानव मूल रूप से एक जीव (Living being) है और जीवशास्त्र मानव का इसी रूप में अध्ययन करता है। जीव-जगत के नियम उस पर भी लागू होते हैं। डार्विन और उसके अनुयायियों ने 'अस्तित्व के लिए संघर्ष' (struggle for the existence) तथा 'योग्यतम की विजय' (survival of the fittest) जैसे जीवशास्त्रीय सिद्धान्तों द्वारा मानव जीवन की व्याख्या करने का प्रयास किया है। ऐसा ही प्रयास हरबर्ट स्पेन्सर ने भी नीतिशास्त्र के क्षेत्र में अपनी पुस्तक (Principles of Ethics) में किया है। वह कहता है कि पशु-जीवन और
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy