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नीतिशास्त्र की परिभाषा / 73
इसके अनुसार सत् और नियम ‘परम आदर्श अथवा साध्य' के साधन हैं। यह 'परम आदर्श' ही नीतिशास्त्र की खोज का विषय है।
प्रयोजनवादी नीतिशास्त्री बेन्थम (Bentham), मिल (Mill), हेनरी सिजविक (Henry Sidgwick) आदि कार्य का शुभत्व या अशुभत्व उसके परिणाम के आधार पर मानते हैं।
मैकेन्जी ने इन तीनों मतों के समन्वय का प्रयास किया है। वह नीतिशास्त्र को मानव-जीवन के आदर्शों का विज्ञान अथवा सामान्य अध्ययन के रूप में स्वीकार करता है।
सिजविक ने नीतिशास्त्र को मानव-चरित्र की समस्याओं का क्रमबद्ध अध्ययन कहा है। ____यों नीतिशास्त्र की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। जितने विचारक उतने दृष्टिकोण और जितने दृष्टिकोण (view points) उतनी ही परिभाषाएँ। इसे जैन शब्दावली में नय (viewpoint) विचारधारा अथवा विषयवस्तु को प्रगट करने को-प्रस्तुत करने का अपना-अपना तरीका कहना उपयुक्त होगा। किन्तु पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही प्रकार के मनीषियों की परिभाषाओं में एक तत्व सामान्य दृष्टिगोचर होता है, वह है-समाज की सुव्यवस्था मर्यादा।
प्राचीन काल से आज तक यह अर्थ सार्थक रहा है। यदि भारत के अध्यात्मपरक चिन्तन को अलग रखकर विचार किया जाय तो नीति शास्त्र का यह सामान्य तत्व माना जा सकता है। ____ अतः नीतिशास्त्र की आदर्श परिभाषा होगी-उन नियमों और उपनियमों का समूह जिनका पालन समाजगत और व्यक्तिगत सुव्यवस्था बनाए रखने में सक्षम हो तथा मानव की लौकिक और लोकोत्तर सभी प्रकार की उन्नति में सहायक बने।
दूसरे शब्दों में, समाज को स्वस्थ एवं संतुलित पथ पर अग्रसर करने एवं व्यक्ति को प्रेय तथा श्रेय की उचित रीति से प्राप्ति कराने के लिए जिन विधि अथवा निषेधामूलक वैयक्तिक और सामाजिक नियमों का विधान देश, काल
और पात्र के सन्दर्भ में किया जाता है, वह नीति है और उन नियमों का संकलन नीतिशास्त्र कहलाता है। 1. Ethics, as the science or general study of the ideal involved in
human life. -Mackenzie, J. S.; A Manual of Ethics, p.4 2. Ethics is the systematic study of the ultimate problems of right human conduct. —Sidgwick