________________
VEDIESELamol
में भी अपना महल बनाया था, ऐसा उल्लेख है । उन्होंने अपने वाणिज्य में देश परदेशों में खूब ख्याति पाई व समस्त भारत में दानवीरों में मशहूर हुए । इन्होंने विक्रम सं. 1315 के भारी दुष्काल में जगह जगह दान शालाएँ व अन्न शालाएँ खुलवाकर भारत के विभिन्न नरेशों को सहायता दी थी, वह उल्लेखनीय है। इनके यहाँ विदेशों के अनेकों व्यापारी हमेशा आकर रहा करते थे जिनके सुविधार्थ मन्दिर व मस्जिदें भी बनवाई थी । यह उनकी उदारता का प्रतीक है। प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ला 15 को ध्वजा चढ़ाई जाती है।
अन्य मन्दिर 8 वर्तमान में यहाँ इसके अलावा कोई मन्दिर नहीं है । ___ कला और सौन्दर्य लगभग ढाई लाख वर्ग फुट चौरस विशाल मैदान मे सुशोभित, देव विमान तुल्य यह मन्दिर अति ही आकर्षक लगता है । चरम तीर्थंकर श्री वीर प्रभु की यह प्रतिमा अति ही अद्भुत व मनोरम है, ऐसी प्रतिमा के दर्शन अन्यत्र दुर्लभ है। केवली कपिल मुनि द्वारा प्रतिष्ठित श्री पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा भी अति ही सुन्दर व प्रभावशाली है। मन्दिर का निर्माण बहुत ही सुन्दर ढंग से किया गया है ।
प्रवेशद्वार छोटा होते हुए भी प्रभु का दर्शन बाहर से श्री पार्श्वनाथ भगवान-भद्रेश्वर
होता है । यहाँ का वातावरण अति ही शान्त है । बीच में सेठ वर्धमान शाह ने इस तीर्थ का उद्वार
मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन करवाके श्री वीर प्रभु की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया।
गाँधीधाम 35 कि. मी. हैं । मन्दिर के पास ही भद्रेश्वर था। तत्पश्चात् उस मुनि ने श्री पार्श्वप्रभु की प्राचीन
का बस स्टेण्ड है । नजदीक का बड़ा गाँव मुन्द्रा 27 प्रतिमा पुनः संघ को सौंप दी, जो कि अभी मन्दिर में कि. मी. व भुज 80 कि. मी. दूर है । विद्यमान है । कहा जाता है उसके बाद एक बार यहाँ सुविधाएँ मन्दिर के निकट ही सर्वसुविधायुक्त के ठाकुर ने मन्दिर का कार्य भार संभाला था । विक्रम विशाल धर्मशाला व नवीन ब्लाक है । भोजनशाला व सं. 1920 में जैन श्रावकों ने ठाकुर साहब से पुनः भाते की भी सुन्दर व्यवस्था है । संघ वालों के लिए कार्यभार प्राप्त करके, जीर्णोद्धार करवाया । अंतिम अलग रसोडे की व्यवस्था है । लेकिन भूकम्प के कारण जीर्णोद्धार विक्रम सं. 1939 में मांडवी निवासी सेठ काफी नुकशान हुआ है । जीर्णोद्धार कार्य चालू है । मोणसी तेजशी की धर्मपत्नी मीठाबाई ने करवाया था, पेढ़ी 8 श्री वर्धमान कल्याणजी ट्रस्ट, वसई जैन ऐसा उल्लेख है ।
तीर्थ, महावीर नगर, पोस्ट : भद्रेश्वर - 370 411. विशिष्टता वीर प्रभु के निर्वाण के 45 वर्षों जिलाः कच्छ (गुज.),फोन: 02838-83361 व 83382 के पश्चात् परमपूज्य केवली कपिल मुनि द्वारा प्रतिष्ठित श्री पार्श्वप्रभु की प्रतिमा अतीव प्रभावशाली व दर्शनीय है । उनके द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमाएँ बहुत ही कम जगह पाई जाती है । तेरहवीं शताब्दी में दानवीर सेठ जगडुशाह का जन्म यहीं हुआ था । उन्होंने कटारिया 556