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अभी भी घटती आ रही है, जैसे आये हुए चोरों को आँखों से दिखाई नहीं देना व प्रार्थना करते ही तुरन्त ठीक होकर पुनः दिखाई देना, समय-समय पर नागदेव का दर्शन होना, पद्मावती माता की प्रतिष्ठा के समय अमी झरना, कई बार रात के समय दिव्यनाद, गीत नृत्य की आवाज आना आदि । __ वर्तमान में प्रतिवर्ष माघ शुक्ला तेरस को ध्वजा चढ़ाई जाती है ।
अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं है । __ कला और सौन्दर्य यहाँ भूगर्भ से प्राप्त प्राचीन प्रतिमाओं की कला विशिष्ठ व अतीव दर्शनीय है, जिनमें सरस्वती माता की मूर्ति तो अत्यन्त सुन्दर व भावात्मक है । जो 111 सें. मी. की खड़ी महाचमत्कारिक अजोड़ प्रतिमा अतीव दर्शनीय है ।
मार्ग दर्शन यहाँ का रेल्वे स्टेशन रांतेज मन्दिर से सिर्फ एक कि. मी. दूर है, जहाँ पर आटो व टेक्सी की सुविधा उपलब्ध है । यहाँ से मोढेरा 20 कि. मी. भोयणी 25 कि. मी. मेहसाणा 30 कि. मी. शंखेश्वर 40 कि. मी. व गांभु 28 कि. मी. दूर है । इन सभी स्थानों पर भी सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं । नजदीक का हवाई अड्डा अहमदाबाद 100 कि. मी. दूर है ।
सुविधाएँ ठहरने के लिए यहाँ सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला है, जहाँ भोजनशाला की सुविधा भी उपलब्ध है।
पेढ़ी श्री नेमनाथ महाराज कारखाना ट्रस्ट, पोस्ट : रांतेज - 384 410, तालुका : बेचराजी, व्हाया : बलोल, जिला : मेहसाणा, प्रान्त : गुजरात, फोन : 02734-89320.
श्रुतदेवी माता सरस्वती
मन्दिर की भमती की देहरी नं. 34 में प्राचीन भोयरा है । कहा जाता है कि यह भोयरा मोढ़ेरा होता हुवा पाटण के पंचासरा मन्दिर के निकट श्री हेमचन्द्राचार्य उपाश्रय तक जाता था । भोयरे मे कई प्राचीन परिकर भी थे उनमें कई कदम्बगिरि तीर्थ पर भेजे गये थे । दो परिकर आज भी यहाँ भमती में हैं । जिनपर वि. सं. 1100 व 1300 के लेख उत्कीर्ण है ।
यहाँ पर और भी कई प्राचीन प्रतिमाएँ निकली थी जिनमें श्री महावीर प्रभु की एक सुन्दर प्रतिमा चमत्कारिक घटना के साथ यहाँ के एक पटेल के घर के नीचे भूगर्भ से प्राप्त हुई थी । इनके अतिरिक्त भी यहाँ अनेकों प्रकार की चमत्कारिक घटनाएँ घटी है व
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