________________
द्वारा निर्मित मन्दिर का जीर्णोद्धार श्री गोविन्द श्रेष्ठी द्वारा होने का उल्लेख किया है । तत्पश्चात् श्री हेमविमलसूरिजी के शिष्य श्री अनन्तहंसजी द्वारा रचित "ईला-प्राकार" चैत्य परिपाटी में इस मन्दिर का जीर्णोद्धार श्री चंपक श्रेष्ठी द्वारा होने का उल्लेख है । लगभग विक्रम सं. 1681 में आचार्य श्री विजयदेवसूरीश्वरजी द्वारा श्री आदीश्वर प्रभु की नवीन प्रतिमा प्रतिष्ठित किये का उल्लेख है । इन सबसे यह सिद्ध होता है कि कुमारपाल राजा द्वारा अनेकों प्राचीन तीर्थों के जीर्णोद्धार करवाये गये । उसी भाँति श्री संप्रति राजा द्वारा निर्मित इस तीर्थ का भी जीर्णोद्धार करवाया गया होगा व उसके बाद समय-समय पर आवश्यक जीर्णोद्धार होते रहे । सत्रहवीं सदी के बाद श्री संघ द्वारा पुनः जीर्णोद्धार करवाकर श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाई गई । अन्तिम जीर्णोद्धार विक्रम सं. 1970 में होकर आचार्य श्री लब्धिसूरीश्वरजी के सुहस्ते प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई ।
यहाँ के इतिहास व उपलब्ध प्राचीन ध्वंसावशेषों से पता श्री श्वे. जैन मन्दिर-ईडरगढ़
लगता है कि किसी समय यह एक विराट नगरी थी व हजारों सुसम्पन्न श्रावकों के घर थे ।
विशिष्टता इस तीर्थ का इतिहास प्राचीनता के साथ अनेकों प्रकाण्ड आचार्य भगवन्तों व दानवीर श्रावकों की जन्मभूमि रहने के कारण विशेष महत्वपूर्ण
है । आचार्य श्री आनन्दविमल सूरीश्वरजी का जन्म वि. तीर्थाधिराज श्री शान्तिनाथ भगवान, श्वेत ___ सं.1547 में यहीं हुआ था। आचार्य श्री विजयदेवसूरीश्वरजी वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 78 सें. मी. (श्वे. मन्दिर)। । का जन्म भी वि. सं. 1656 में यहीं हुआ था । अनेकों
तीर्थ स्थल ईडर गाँव से एक कि. मी. दूर आचार्य भगवन्तों ने यहाँ रहकर कई ग्रंथों की रचनाएँ स्थित ईडर गढ़ की तलेटी से 12 कि. मी. चढ़ाई पर, की । आज भी यहाँ हस्तलिखित ग्रंथ भन्डार हैं, जिनमें रमणीय वनयुक्त पहाड़ी के मध्य ।।
अनेकों ग्रंथ उपलब्ध हैं । प्राचीनता * किसी समय यह पहाड़ ईलापद्र राजसम्मान प्राप्त श्री गोविन्द श्रेष्ठी, श्रीपाल व ईलादुर्ग, ईयदर आदि नामों से विश्यात था । भगवान सहजपाल कोठारी, श्रेष्ठी वीसल, सहजूशाह, ईश्वर महावीर के 285 वर्षों पश्चात् श्री संप्रति राजा द्वारा श्री
सोनी आदि अनेकों दानवीर श्रेष्ठी यहाँ हए जिन्होनें धर्म शान्तिनाथ भगवान की प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाने का प्रभावना व जनकल्याण के अनेकों कार्य किये । वे प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख मिलता है । श्री कुमारपाल
आज भी अमर हैं । यहाँ प्रतिवर्ष कार्तिक व चैत्री राजा के राज्यकाल में आचार्य श्री जिनपति सूरीश्वरजी पूर्णिमा को मेले भरते हैं । द्वारा रचित "तीर्थ माला" में श्री चोलुक्य नरेश अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त वर्तमान में पहाड़ (राजा कुमारपाल) द्वारा मन्दिर निर्मित करवाकर श्री
पर एक दिगम्बर मन्दिर है । ईडर गाँव में पाँच आदीश्वर भगवान की प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाने का श्वेताम्बर मन्दिर व तीन दिगम्बर मन्दिर है । गाँव से उल्लेख है । आचार्य श्री मुनिसुन्दरसूरीश्वरजी ने 2 कि. मी. दूर खड़कवाली टेकरी पर श्रीमद् राजचन्द्र "ईडरनायकऋषभदेवस्तवन" में श्री कुमारपाल राजा विहार है, जहाँ स्वाध्याय मन्दिर व एक और टेकरी पर 524
श्री ईडर तीर्थ