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तत्पश्चात् वि. सं. 1899 में एक भाग्यवान श्रावक को आये स्वप्न के अनुसार इस प्रतिमाजी के साथ भूगर्भ से श्री आदिनाथ भगवान, श्री शांतिनाथ भगवान, श्री कुंथुनाथ भगवान व श्री पद्मप्रभ भगवान की प्रतिमाएँ भी प्राप्त हुई थीं। श्री संघ द्वारा निर्मित, विशाल मन्दिर में विक्रम सं. 1947 अक्षय तृतीया के शुभ दिन प्रतिमाओं को पुनः प्रतिष्ठित करवाया गया । एक प्रतिमाजी की गादी पर सं. 1351 का लेख उत्कीर्ण है । विशिष्टता प्राचीन काल में श्रावकगण धर्म के लिए मर मिटते थे । यहाँ पर उपलब्ध एक शिलालेख में उत्कीर्ण लेख के अनुसार विक्रम सं. 1343 आषाढ़ शुक्ला 2 सोमवार के दिन यहाँ डाकुओं द्वारा हुए लूटमार में मन्दिर की रक्षा के लिए श्रावक जयंतसिंह ने अपना प्राण त्याग दिया व साथ में उनकी धर्मपत्नी श्राविका भी सती हो गयी । ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा, चैत्री पूर्णिमा व माघ शुक्ला 13 के दिन मेला भरता है। यहाँ अखण्ड
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ज्योत में कई वर्षों से निरन्तर केसरिया काजल के दर्शन होते हैं । अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त वर्तमान में यहाँ कोई मन्दिर नहीं हैं ।
कला और सौन्दर्य भूगर्भ से प्राप्त प्राचीन प्रतिमाओं की कला दर्शनीय है।
मार्ग दर्शन नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिद्धपुर लगभग 12 कि. मी. है सिद्धपुर से व मंत्राणा गाँव में टेक्सी, आटो की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ से पाटण 35 कि. मी. व पालनपुर 40 कि. मी. दूर है ।
सुविधाएँ ठहरने के लिए सर्वसुविधायुक्त विशाल धर्मशाला हैं । जहाँ पर भोजनशाला की सुविधा उपलब्ध है ।
384 290.
पेढ़ी श्री रिखबदेव भगवान श्री जैन श्वेताम्बर देरासर कारखाना, पोस्ट मेत्राणा जिला पाटण (गुज.) फोन : 02767-81242.
श्री आदिनाथ भगवान मन्दिर - मेत्राणा
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Shinkal
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