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________________ स्थापत्य में इसके जोड़ की कोई रचना नहीं है, जो इस मन्दिर के अत्यन्त सुन्दर आकार और शिखरसंयोजन की सूक्ष्म विवेचना से युक्त कलागत समृद्धि की समानता कर सकें ।" श्री आदिनाथ मन्दिर अपने ऊँचे शिखर की सादगी और उस पर रखे हुए कलश की भव्यता, ऊपर के सूचीचक्र, आमलक और कुंभकलश की मनोहरता के लिए प्रसिद्ध है । प्रवेश द्वार पर दोनों ओर गंगा, यमुना और द्वारपाल अंकित हैं । बाह्य भित्तियों के ऊपर की छोटी पंक्तियों में गन्धर्व किन्नर और विद्याधर तथा शेष दो पंक्तियों में शासन देवता, तथा अप्सरायें आदि अंकित हैं । इन पट्टिकाओं के कोणों पर आदिनाथ के शासन सेवक गोवदन का बड़ा सुन्दर और वैचित्रपूर्ण अंकन है। आरसी देखकर सीमत में सिन्दूर आलेखन करती हुई रूपगविंता, आरसी देखकर नयन आंजती हुई सुनयना, अप्रिय संवाद भरा पत्र पढ़ती हुई चिन्तित अप्सरा, बालक पर ममता उँडेलती हुई जननी आदि के चित्रण भी बहुत ही सजीब बन पड़े है । श्री शान्तिनाथ मन्दिर में भगवान शान्तिनाथ की मनोज्ञ प्रतिमा तो है ही । साथ ही साथ उसमें अन्य श्री धरणेन्द्र पद्मावती की अद्वितीय प्राचीन प्रतिमा मन्दिर का बाह्यय दृश्य-खजूराहो 732
SR No.002332
Book TitleTirth Darshan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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