________________
के निर्माण कराये जाने का तथ्य व मन्दिर की पूजा व्यवस्था के लिए श्री पाहिल द्वारा सात वाटिकाओं के भेंट का उल्लेख है मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रतिमा की पीठिका पर संवत् 1084 का लेख है।
विशिष्टता शिल्प और कला की दृष्टि से खजुराहो पूरी दुनियाँ में प्रसिद्ध है । पत्थरों पर खुदी हुई यहाँ की कलात्मक प्रतिमाओं का अन्यत्र दर्शन दुर्लभ है ।
अन्य मन्दिर 125.6 मीटर (412 फुट) लंबे और 76.2 मीटर (250 फुट) चौड़े, अर्थात् 103000 वर्ग फुट भूमि परिवेष्टित परकोटे के अन्दर कुल 34 मन्दिर हैं जिनमें 22 शिखरयुक्त हैं । इस मन्दिर समूह के पश्चिम में निकट ही एक प्राचीन जैन मन्दिर के अवशेष है जिसे घोटाई मन्दिर कहते है । उपरोक्त मन्दिरों के अतिरिक्त श्री शान्तिनाथ संग्रहालय है । उसमें अनेक सुन्दर कलाकृतियों का संग्रह है ।
कला और सौन्दर्य 8 यहाँ के जैन मन्दिर विशेषतः श्री पार्श्वनाथ मन्दिर, श्री आदिनाथ मन्दिर व श्री शान्तिनाथ मन्दिर अपनी विशालता, कलागत विशेषता तथा सौन्दर्य के कारण विश्व-विख्यात हैं । छोटे बड़े
शताधिक शिखरों से सज्जित श्री पार्श्वनाथ मन्दिर की श्री पार्श्वनाथ भगवान कलात्मक मन्दिर-खजुराहो
शिखर संयोजना नयनाभिराम है । प्रवेश द्वार के मुख्य तोरण के बीच में दो अर्हत् प्रतिमाओं का अंकन करके
इनके दोनों ओर छः छः साधु उनकी वन्दना करते हुए श्री खजुराहो तीर्थ
दिखाये गये हैं । गर्भगृह के द्वार पर गंगा, यमुना,
चक्रेश्वरी, सरस्वती तथा नवग्रह आदि का अत्यन्त तीर्थाधिराज श्री शान्तिनाथ भगवान, कायोत्सर्ग,
सजीव अंकन हुआ है । परिक्रमा में देव-देवियों, लाल वर्ण, 4.27 मीटर (14 फुट) (दि. मन्दिर)।
अप्सराओं आदि के बड़े मनोहर अंकन हैं तथा बीच-बीच तीर्थ स्थल खजुराहो से लगभग एक किलोमीटर
में तीर्थंकर प्रतिमाएँ हैं । तीर्थंकर प्रतिमाओं को केन्द्र
बनाकर कुबेरयुगल, द्वारपाल, दिग्पाल तथा गजारूढ़ पूर्व की ओर खुड़नदी के तट पर ।।
जैन शासन देवताओं का अंकन है । इस मन्दिर में प्राचीनता 8 खजुराहो के जैन मन्दिरों का
श्रृंगार करती हुई सुन्दरी, पगतल मे आलता लगाती निर्माण चन्देलों के राजत्वकाल में विक्रम की नवमी
हुई कामिनी, नेत्र को अंजनशलक का स्पर्श देती हुई शताब्दी से लेकर बारहवीं शताब्दी तक हुआ । चन्देल
सुलोचना, नूपुर बांधती हुई नृत्योधता किन्नर बाला, पंच नरेश धंग के राजत्वकाल (संवत् 950 से 1002 तक)
शर हाथ में लिये हुए कामदेव, हाथों में सुरभित में राज्य सम्मान प्राप्त जैन श्रेष्ठि पाहिल के द्वारा
पुष्पमाल लिये हुए विद्याधर युगल, नाना वादिभ बजाते सुविशाल व मनोरम श्री पार्श्वनाथ भगवान के मन्दिर
हुए गन्धर्व किन्नर किन्नरियों आदि की विख्यात छबियाँ का निर्माण कराया गया । इस मन्दिर के द्वार पर अंकित हैं । प्रसिद्ध पुरातत्वज्ञ व कलामर्मज्ञ श्री विक्रम संवत् 1011 का उत्कीर्ण एक शिलालेख है ____फर्ग्युसन के शब्दों मे “समूचे मन्दिर का निर्माण जिसमें महाराजा धंग के राज्यकाल में इस जिनालय वास्तव में इस दक्षता के साथ हुआ है कि संभवतः
731