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________________ उज्जैन राजा चंडप्रधोत ने भी उज्जैन जाकर उक्त मन्दिर के निभाव खर्च हेतु अनेकों गांव भेंट अर्पित करने का भी उल्लेख है । तत्पश्चात् विदिशा के अन्तर्गत भाइलस्वामीगढ़ बसाकर वहाँ मन्दिर का निर्माण करवाकर वहाँ पर भी प्रभुवीर की जीवंत प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाने का भी उल्लेख है संभवतः वह अन्य प्रतिमा ही होगी, क्योंकि प्रभुवीर के समय कई जीवंत प्रतिमाएँ भराने का उल्लेख आता है । युगप्रवर्तक विद्वानरत्न आर्य रक्षितसूरीश्वरजी म.सा. की यह जन्म, दिक्षा व स्वर्गारोहण भूमी मानी जाने के कारण भी यहाँ की मुख्य विशेषता हैं । आचार्य भगवंत ने अपना जीवन प्रायः इसी क्षेत्र में बिताया व शासन के अनेकों कार्य किये । कहा जाता है आचार्य भगवंत ने ही अनुयोग शास्त्रों को पाटलीपुत्र में रहते समय धर्मकथानुयोग, चरणानुयोग, द्रव्यानुयोग व गणितानुयोग में विभाजित किया था जो तीसरी आगम वाचना की तरह प्रसिद्ध हुई। वे ग्रंथ आज भी अतीव उपयोगी माने जाते हैं । आपने अनुयोग द्वार सूत्र की संकलना यहीं पर रहकर की थी । कहा जाता है कि इसके निकट ही दशार्ण राजा द्वारा बसाया दशार्णपुर गांव था । उस गांव के उत्तर-पूर्व में दशार्णकूट पर्वत था जिसका नाम गजाग्रपद व इन्द्रपद भी था । वृहत कल्पसूत्र में इसका वर्णण आता है । भगवान महावीर द्वारा राजा दशार्णभद्र को वहीं पर दिक्षा देने का उल्लेख है । यह भी इस क्षेत्र की मुख्य विशेषता है । अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त 10 श्वे. मन्दिर हैं । कला और सौन्दर्य प्राचीन विशालकाय भव्य प्रभु प्रतिमा अतीव सौम्य, प्रभावशाली व भावात्मक है। ऐसी प्रतिमा के दर्शन अन्यत्र दुर्लभ है । यहाँ से लगभग 7 कि. मी. दूर सौन्दगी गांव में यशोधर्म द्वारा निर्मित कीर्ति स्थम्भ आज भी विद्यमान है जो यहाँ के प्राचीन इतिहास की याद दिलाता है । मन्दिर में अन्य प्राचीन प्रतिमाएँ भी दर्शनीय है । मार्ग दर्शन यहाँ का मन्दसौर रेल्वे स्टेशन लगभग 2 कि. मी. दूर है व मन्दसोर शहर 112 कि. मी. दूर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है । मन्दिर तक कार व बस जा सकती है । यहाँ से रतलाम लगभग 85 कि. मी. भानपुरा 135 कि. मी. व वई पार्श्वनाथ श्री विघ्नहर पार्श्वनाथ भगवान - दशपुर 15 कि. मी. दूर है । सभी स्थानों में हर तरह की सवारी का साधन है । सुविधाएँ ॐ फिलहाल यहाँ शहर में धर्मशाला है, परन्तु वर्तमान में बिस्तर, बर्तन आदि की सुविधा नहीं है । पेढ़ी श्री विघ्नहर पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ एवं धार्मिक संस्थान, खिलचीपुरा, पोस्ट : मन्दसौर - 458001 प्रान्त : मध्यप्रदेश, फोन : पी.पी. 07424-50240, 75305. 699
SR No.002332
Book TitleTirth Darshan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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