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श्री पावागिरी तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री शान्तिनाथ भगवान, खड्गासन मुद्रा, लगभग 12V2 फीट (दि. मन्दिर)।
तीर्थ स्थल 8 ऊन गाँव के निकट चिरूढ़ नदी के किनारे एक छोटी पहाड़ी पर ।
प्राचीनता दिगम्बर मान्यतानुसार निर्वाणकाण्ड में वर्णित पावागिरि सिद्धक्षेत्र यही है, जहाँ से चन्द्र प्रभु भगवान के काल में, स्वर्णभद्र आदि मुनिगण चेलना नदी के तटपर बसे पावागिरि, जिसे आज ऊन कहते हैं, पर मोक्ष जाने का उल्लेख है । ऊन के समीप की चिरूढ़ नदी ही चेलना होगी ।
यहाँ पर जगह-जगह भूगर्भ से प्राप्त प्राचीन जिन प्रतिमाओं आदि से भी यहाँ की प्राचीनता सिद्ध होती है।
यह मन्दिर बारहवीं सदी में राजा बल्लाल द्वारा निर्मित हुवा बताया जाता है । इस मन्दिर के मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा पर वि. सं. 1263 ज्येष्ठ वदी 13 आचार्य श्री यश कीर्ति प्रणमति उत्कीर्ण है । मन्दिर उससे भी प्राचीन है । कहा जाता है यहाँ के राजा बल्लाल द्वारा निर्मित निन्वानवें मन्दिरों में से यह एक मन्दिर है ।
श्री शान्तिनाथ भगवान-पावागिरि ऊन
श्री शान्तिनाथ जिनालय-पावागिरि ऊन
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