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श्री झगड़िया तीर्थ
तीर्थाधिराज ॐ श्री आदिनाथ भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ । लगभग 104 सें. मी. । तीर्थ स्थल झगड़िया गाँव के मध्य । प्राचीनता प्रतिमाओं पर अंकित लेख इस तीर्थ की प्राचीनता के प्रमाण हैं । विक्रम संवत् 1921 में इस गाँव के निकट के खेतों में से कुछ प्राचीन प्रतिमाएँ निकली थीं । जिनमें श्री चक्रेश्वरी देवी की प्रतिमा पर अंकित लेख के अनुसार ये प्रतिमाएँ विक्रम सं. 1200 माघ शुक्ला 10 के दिन मंत्री पृथ्वीपाल द्वारा प्रतिष्ठित हुई थी ।
तत्कालीन नरेश श्री गंभीरसिंहजी ने मन्दिर बनवाकर वि. सं. 1928 माघ कृष्ण 5 के दिन इन प्रतिमाओं को दुबारा प्रतिष्ठित करवाया। तत्पश्चात् वीर निर्वाण सं. 2428 विक्रम संवत् 1959 में यहाँ के श्री संघ ने राणा गंभीर सिंहजी के पुत्र राणा छत्र सिंहजी से मन्दिर का कार्यभार संभालकर पुनः जीर्णोद्धार करवाया।
विशिष्टता भूगर्भ से प्राप्त यहाँ की प्राचीन प्रतिमाओं को पाने के लिए बड़ौदा और भडौच नगरों के जैन श्रावक राणा के पास गये । तब राणा ने कहा कि वर्तमान में मेरे नगर में एक भी जैन श्रावक का घर नहीं है और न कोई मन्दिर है । फिर भी इन प्रतिमाओं को आप लोगों के सुपुर्द करना मेरे अथवा राज्य के लिए कलंक की बात होगी । मैं स्वयं यहाँ
मन्दिर का कलात्मक दृश्य-झगड़िया
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