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श्री आदीश्वर भगवान-कावी
मिलता है । कालान्तर में समय-समय पर इन मन्दिरों के आवश्यक जीर्णोद्धार हुए ।
विशिष्टता ये मन्दिर सास बहू के बनवाये कहे जाते हैं । किंवदन्ति है कि श्रीमती हीरा बाई व उनकी पुत्र वधु वीरा बाई प्रभु दर्शन हेतु सर्वजीत प्रासाद मन्दिर गयीं । तब मन्दिर का प्रवेश द्वार छोटा होने के कारण बहू के सिर में लगने पर सास जी से कहा कि आपने मन्दिर तो विशाल बनवाया लेकिन प्रवेश द्वार बहुत छोटा बनवाया । इस पर सास जी ने ताना मारकर कहा कि तुम पीहर से धन लाकर ऊँचे
दरवाजे वाला बनाओं । इसी बात पर बहू ने मन्दिर बनवाने की प्रतिज्ञा की । साथ ही मन्दिर निर्माण का कार्य शीघ्रातिशीध्र प्रारम्भ कर पाँच वर्ष की अवधि में ही पूरा करवाकर प्रतिष्ठा करवायी । प्रतिवर्ष माघ कृष्ण 7 को वार्षिकोत्सव व कार्तिक पर्णिमा एवं चैत्री पूर्णिमा को मेले होते हैं ।
अन्य मन्दिर इन मन्दिरों के अतिरिक्त यहाँ वर्तमान में कोई अन्य मन्दिर नहीं है ।
कला और सौन्दर्य 8 रत्न प्रासाद मन्दिर के
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