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________________ श्री नवानगर तीर्थ सिधानमना નવેતામ્બર-દેરાસ NEAVEA TA तीर्थाधिराज श्री नेमिनाथ भगवान, श्याम वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 51 इंच (श्वे. मन्दिर)। तीर्थ स्थल जामनगर शहर के महालक्ष्मी चौक में । प्राचीनता प्राचीन काल का नवानगर आज जामनगर के नाम से विख्यात है । इस नगरी की स्थापना सोलवीं सदी में हुई मानी जाती है । परन्तु श्री नेमिनाथ प्रभु की प्रतिमा का इतिहास बहुत ही प्राचीन व प्रभावशाली है जिसका संक्षिप्त विवरण विशेषता में दिया गया है । इस नगर की स्थापना के समय ही ओसवाल वंशज भणशालीगोत्रीय श्री आनन्दशेठ व अबजीशेठ के पूर्वज यहाँ आकर बसे व नगर के निर्माण व उत्थान में अपना पूर्ण सहयोग व योगदान प्रदान किया जो जामनगर के इतिहास में हमेशा उल्लेखित रहेगा । नगर की स्थापना के साथ-साथ मन्दिरों का भी निर्माण हुवा अतः यहाँ के जैन मन्दिरों का इतिहास भी प्रारंभ हुवा । समय-समय पर आवश्यकतानुसार मन्दिरों का जीर्णोद्धार होता ही है उसी भांती यहाँ भी हुवा जिनमें मुख्य जीर्णोद्धार सं. 1788 में होने का उल्लेख है । विशिष्टता मूलनायक श्री नेमिनाथ भगवान की अलौकिक जीवित प्रतिमा प्रभु के काल में श्री कृष्ण वासुदेव के भ्राता श्री बलदेव द्वारा पूजित रहने के कारण व चमत्कारिक घटनाओं के साथ प्रकट होकर यहाँ पुनः प्रतिष्ठित होने के कारण इस मन्दिर की महान विशेषता श्री नेमिनाथ भगवान जिनालय प्रवेश द्वार-नवानगर साथ में यहाँ पर एक ही स्थान पर बने अनेकों भव्य व कलात्मक मन्दिरों के कारण इसे अर्धशत्रुजय महातीर्थ की उपमा दी है । यह भी यहाँ की मुख्य विशेषता है । कहा जाता है कि श्री ओसवाल वंशीय श्री मुहणसिंहशेठ के द्वारिका नगरी से जलमार्ग द्वारा यहाँ आते समय समुद्र में उनके वाहन से टकराकर यह भव्य चमत्कारिक प्रतिमा प्रकट हुई थी, जिसे प्रतिष्ठित करवाने हेतु शिखरबंध मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारंभ किया परन्तु कोई दिव्य शक्ति के कारण दिन में हुवा काम रात में स्वतः गिर जाता था । यह घटना निरन्तर कई दिनों तक चलती रही । निराश हुवे शेठ जगह-जगह पूछताछ करते रहे । परन्तु कोई उपाय नहीं सूझ रहा था । भाग्योदय से आचार्य भगवंत श्री धर्ममूर्तीसूरीश्वरजी म. सा. का यहाँ पदार्पण हुवा, उन्हें सारी बात से अवगत करवाया गया । कारण का पता लगाने हेतु आचार्य श्री ने देवी की उपासना की । उपासना से संतुष्ट हुई अधिष्टायिका श्री महाकाली देवी ने प्रकट होकर कहा कि यह महान प्रभाविक प्रतिमा है जो श्री नेमिनाथ भगवान के समय उनके गणधर द्वारा घर दहेरासर मन्दिर में विधिसहित प्रतिष्ठित श्री बलदेव 577
SR No.002332
Book TitleTirth Darshan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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