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________________ और प्राचीन मन्दिर पन्द्रहवीं शताब्दी के हैं । कला और सौन्दर्य यहाँ की कला के दर्शन करते ही आबू व कुंभारियाजी याद आ जाते हैं । मन्दिर के शिखर, गुम्बज, स्थंभों आदि पर किये विभिन्न प्रकार की कला के नमूने अपने-आप में निराले प्रतीत होते हैं । यहाँ के मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु की मूर्ति की कला तो देखते ही बनती हैं। लगता है प्रभु साक्षात् विराजमान हैं । इतनी प्राचीन प्रतिमा जैसे आज बनी प्रतीत होती हैं । ऐसी प्रतिमा के दर्शन अन्यत्र निःसन्देह दुर्लभ हैं । मन्दिर में और भी अनेकों प्राचीन कलात्मक प्रतिमाएँ हैं । जैसे मोर व सर्प के बीच आदिनाथ प्रभु के चरण, द्रौपदी, कुन्ती, पाण्डव आदि ऐसे कई प्रतिबिम्ब हैं । पार्श्वप्रभु के मन्दिर में भोयरे में विशालकाय प्राचीन प्रतिमाएँ है । Kisan मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन खेमली 13 कि. मी. व उदयपुर 26 कि. मी दूर है। उदयपुर से बस व टेक्सी की सुविधा है । गाँव का स्टेण्ड मन्दिर से लगभग 1/2 1/2 कि. मी. दूर है । उदयपुर-अजमेर मार्ग पर यह स्थल है । मन्दिर तक कार व बस जा सकती है । सुविधाएँ है, जहाँ बिजली, पानी की सुविधा है । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा, पेढ़ी पोस्ट : देलवाड़ा - 313 202. ठहरने के लिए यहाँ पर धर्मशाला जिला : उदयपुर, प्रान्त राजस्थान, फोन : 0294-89340 पी.पी. प्रधान कार्यालय : हाथी पोल (उदयपुर) फोन : 0294-420462. श्री आदीश्वर भगवान-देवकुलपाटक 333
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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