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________________ श्री पुनाली तीर्थ तीर्थाधिराज वर्ण, पद्मासनस्थ (श्वे. मन्दिर ) । श्री आदिनाथ भगवान, श्याम तीर्थ स्थल पुनाली गाँव में । प्राचीनता यह मन्दिर लगभग विक्रम की ग्यारवीं सदी में निर्मित होने का उल्लेख है । जीर्णोद्धार के समय इस प्रतिमा के वि. सं. 1657 में प्रतिष्ठित होने का उल्लेख है । कहा जाता है कि पुरानी प्रतिमा व मन्दिर को कुछ क्षति पहुँचने के कारण जीर्णोद्धार के समय प्रतिमाजी को भी बदलना आवश्यक हो गया था | विशिष्टता यह प्राचीन स्थल होने के साथ-साथ चमत्कारिक स्थल भी है। प्रभु प्रतिमा अतीव चमत्कारिक है । जैन - जैनेतर दर्शनार्थ आते रहते हैं । दर्शन- पूजन करने वालों की मनोकामना पूर्ण होती है । हर माह पूर्णीमाको आजू-बाजू गांव वालों का दर्शनार्थ आवागमन 322 विशेष तौर से रहता है । अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त और कोई मन्दिर नहीं हैं । कला और सौन्दर्य प्रभु प्रतिमा अव प्रभावशाली व कलात्मक है । वर्तमान में अन्य कोई कला के नमूने नजर नहीं आते हैं । मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन डुंगरपुर 25 कि. मी. दूर है, जहाँ से बस, टेक्सी व आटो की सुविधा है। यहाँ का बस स्टेण्ड मन्दिर से लगभग 1/2 कि. मी. दूर है । मन्दिर तक बस व कार जा सकती है । सुविधाएँ फिलहाल यहाँ ठहरने की कोई सुविधा नहीं है । पेढ़ी श्री आदिनाथ भगवान जैन श्वे. मन्दिर, श्री आदिनाथ मूर्तिपूजक श्वे. संघ, पुनाली पोस्ट : पुनाली 314028. जिला : डुंगरपुर (राजस्थान) फोन : पी.पी. 02964-67215. श्री आदिनाथ जिनालय पुनाली
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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