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श्री नागेश्वर तीर्थ
तीर्थाधिराज
श्री पार्श्वनाथ भगवान, कायोत्सर्ग मुद्रा, हरित वर्ण, 420 सें. मी. ( श्वे. मन्दिर) | उन्हेल गाँव के पास झरने के
तीर्थ स्थल
किनारे ।
प्राचीनता यहाँ उपलब्ध विध्वंश अवशेषों आदि से इस तीर्थ की प्राचीनता लगभग 1200 वर्षों के पूर्व की मानी जाती है । प्रतिमाजी की कलाकृति से प्रतिमा लगभग 1100 वर्षों से पूर्व की होने का अनुमान है। इस प्रतिमा का प्रभु पार्श्वनाथ के जीवित काल में प्रभु के अधिष्ठायक श्री धरणेन्द्र देव द्वारा निर्मित होने की
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भी मान्यता है । यह प्राचीन मन्दिर जीर्ण अवस्था में था, जिसकी देखभाल एक सन्यासी बाबा वर्षों से कर रहा था, प्रतिमा हमेशा अपूजित रहती थी । यह दृश्य कुछ वर्षों पूर्व निकटवर्ती जैन संघ के ध्यान में आकृष्ट हुआ । परमपूज्य उपाध्याय तपस्वी श्री धर्मसागरजी महाराज एवं गणिवर्य श्री अभयसागरजी महाराज की प्रेरणा से जैन संघ ने सरकारी तौर पर उचित कदम उठाकर मन्दिर का कार्यभार अपने हाथ में संभालकर विधिपूर्वक सेवा-पूजा प्रारम्भ की व पुनः जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ किया गया जो गत पच्चीस वर्षों की अवधि में प्रभु कृपा से बहुत ही विशालता पूर्वक सुसम्पन्न हुवा । इस तीर्थ को प्रकाश में लाने का श्रेय श्री दीपचन्दजी जैन व वषन्तीलालजी डाँगी को है ।
श्री नागेश्वर पार्श्वप्रभु जिनालय