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प्राचीन व चमत्कारिक तीर्थक्षेत्र-लोद्रवपुर
श्री लोद्रवपुर तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री सहस्रफणा चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान, श्याम वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 100 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) ।
तीर्थ स्थल जैसलमेर से लगभग 15 कि. मी व अमरसागर से लगभग 5 कि. मी. दूर ध्वंश हुए लोद्रव गाँव में ।
प्राचीनता कहा जाता है प्राचीन काल में यह लोद्र राजपूतों की राजधानी का एक बड़ा वैभवशाली शहर था । भारत का प्राचीन विश्व-विद्यालय भी यहाँ था । इस स्थान की विश्व में प्रतिष्ठा थी । एक समय यह राज्य सगर राजा के अधीन था । उनके श्रीधर व राजधर नामक दो पुत्र थे । इन्होंने जैनाचार्य से प्रतिबोध पाकर जैन-धर्म अंगीकार किया । उन्होंने यहाँ श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान का अति विशाल भव्य
श्री अधिष्ठायक देव का आशीर्वाद हेतु
आगमन-लोद्रवपुर
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