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________________ श्री फलवृद्धि पार्श्वनाथ तीर्थ तीर्थाधिराज श्री फलवद्धि पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, श्याम वर्ण, लगभग 105 से. मी. (श्वे. मन्दिर) । तीर्थ स्थल * मेड़ता रोड़ स्टेशन से लगभग 200 मीटर दूर गाँव में । प्राचीनता यह तीर्थ विक्रम की बारहवीं शताब्दी में पुनः प्रकाश में आया माना जाता है । दुग्ध व बालू से निर्मित, चमत्कारी घटनाओं के साथ भूगर्भ से प्रकट इस प्रभु-प्रतिमा की प्रतिष्ठापना वि. सं. 1181 में आचार्य श्री धर्मघोष सूरीश्वरजी के सुहस्ते चतुर्विधसंघ के सन्मुख अत्यन्त हषोल्लास पूर्वक सुसम्पन्न हुई थी, ऐसा उल्लेख है । वि. सं. 1199 में प्रकाण्ड विद्वान आचार्य श्री वादीदेवसूरीश्वरजी के सुहस्ते विराट महोत्सव के साथ यहाँ प्रतिष्ठा सुसम्पन्न होने का भी उल्लेख है । वि. सं. 1204 में मन्दिर में कलश-ध्वजा आरोपण होने का उल्लेख है । 'पुरातन प्रबन्ध संग्रह', उपदेश तरंगिणि, तपागच्छ पट्टावली व विविध तीर्थ कल्प आदि में इस तीर्थ का विस्तृत उल्लेख है । वि. सं. 1552 में संघपति सूरवंशी श्री शिवराजजी के सुपुत्र श्री हेमराजजी द्वारा इस मन्दिर के जीर्णोद्धार करवाने का उल्लेख है । वि. सं. 1653 में इस मन्दिर में अन्य जिन प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित होने का उल्लेख है । वि. सं. 1935 व वि. सं. 1992 में भी इस मन्दिर के जीर्णोद्धार हुए हैं । विशिष्टता 8 श्री जिनप्रभ सूरीश्वरजी ने चौदहवीं शताब्दी में रचित 'विविध तीर्थ कल्प' में इस तीर्थ के दर्शन करने से अड़सठ तीर्थों के दर्शन का लाभ होना बताया है । इस वर्णन का कुछ न कुछ रहस्य अवश्यमेव होगा । इस कल्प में यह भी बताया है कि यहाँ गोपालक श्री धाँधल श्रेष्ठी की एक गाय दूध नहीं लगा कि एक टीबे के पास पेड़ के नीचे गाय के स्तनों से दूध हमेशा झर जाता है । वह वृत्तान्त सेठ से कहा। सेठ को स्वप्न में अधिष्ठायकदेव ने बताया कि जहाँ दूध झरता है वहाँ देवाधिदेव श्री पार्श्वनाथ प्रभु की सप्तफणी प्रतिमा है । प्रयत्न करने पर वहाँ से प्रकट होगी, जिसे मन्दिर का निर्माण करवाकर प्रतिष्ठित श्री फलवृद्धि पार्श्वनाथ मन्दिर-मेड़ता रोड़ 268
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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