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प्राचीन मन्दिर नजर नहीं आ रहे हैं । संभवतः काल के प्रभाव से उन्हें क्षति पहुँची हो ।
वर्तमान में पंजाब में स्थित मन्दिरों में यहाँ का यह मन्दिर सबसे प्राचीन माना जाता है जो संभवतः दो सौ वर्ष पूर्व का है ।
विशिष्टता इस भव्य मन्दिर का शिखर स्वर्णमय है । शिखर पर सोने का पत्तर चढाया हुवा है अतः इसे स्वर्ण मन्दिर कहते हैं । ___इस शैली का स्वर्ण मन्दिर जैन मन्दिरों में पूरे भारत में यही एक मात्र है, यही यहाँ की मुख्य विशेषता
श्री बुटेरायजी का यह जन्म क्षेत्र है, जिन्होंने कई मन्दिरों की प्रतिष्ठा करवाई थी । इस क्षेत्र में हुवे आत्मारामजी महाराज साहब ने भी धर्म प्रभावना के अनेकों कार्य किये । आज स्थित गुरु भगवंतों में उनके शिष्य समुदाय के अधिकतर हैं ।
अन्य मन्दिर 8 वर्तमान में इसके अतिरिक्त एक और पार्श्वनाथ भगवान का मन्दिर है ।
कला और सौन्दये यहाँ पर इस मन्दिर के शिखर की कला निराले ढंग की है । प्रभु प्रतिमा भी अतीव मनमोहक व प्रभाविक है । यहाँ पर हस्त लिखित पुस्तक भंडार है । अन्य मन्दिर में मुलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा भी प्राचीन व प्रभाविक है जो दर्शनीय है ।
मार्ग दर्शन यहाँ का रेल्वे स्टेशन व बस स्टेण्ड मन्दिर से सिर्फ 1 कि. मी. दूर है । गाँव में आटो व टेक्सी की सवारी का साधन है । नजदीक का हवाई अड्डा अमृतसर लगभग 120 कि. मी. दूर है ।
सुविधाएँ 8 ठहरने हेतु मन्दिर के अहाते में ही धर्मशाला है । परन्तु फिलहाल खास सुविधा नहीं
श्री वासुपूज्य जिनालय-होशियारपुर
श्री उमास्वातीजी, आचार्य जिनदत्तसुरीजी, हरिगुप्रसुरिजी, विजयसेनसुरिजी, जिनचन्द्रसुरिजी आदि अनेक प्रकाण्ड गुरु भगवंतों ने इस क्षेत्र में विहार कर इसे पावन बनाया था ।
विक्रम की तीसरी सदी में इसीपंजाब क्षेत्र के तक्षशिला में लगभग 500 जिन मन्दिरों के रहने व जैन धर्म का मुख्य विधाकेन्द्र रहने का उल्लेख है । जिससे इस पंजाब क्षेत्र की जाहोजलाली स्वतः प्रमाणित हो जाती है ।
उक्त प्रमाणों से यह भी माना जा सकता है कि इस क्षेत्र के हर गांव में मन्दिरों का अवश्य निर्माण हुवा ही होगा, इसमें कोई सन्देह नहीं । परन्तु आज वे
पेढी श्री आत्मानन्द जैन सभा (रजि.), श्री वासुपूज्य भगवान जैन श्वे. मन्दिर, शीश महल बाजार, पोस्ट : होशियारपुर - 146 001. (पंजाब), फोन : पी.पी. 01882-223325
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