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विक्रम सं. 1722 में रचित तीर्थ माला में मुण्डस्थल में 145 प्रतिमाओं के होने का उल्लेख है । ___ उसके बाद मन्दिर बहुत जीर्ण अवस्था में रहा, जिसका पुनः उद्धार होकर विक्रम सं. 2015 वैशाख शुक्ला 10 के दिन आचार्य श्री विजयहर्षसूरिजी के सुहस्ते पुनः प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई ।
विशिष्टता भगवान महावीर का अपने छद्मावस्था काल में यहाँ पदार्पण कर काउसग्ग ध्यान में रहने का उल्लेख यहाँ की मुख्य विशेषता का सूचक है । मंत्री श्री विमलशाह व वस्तुपाल तेजपाल ने विमलवसही व लावण्यवसही की व्यवस्था हेतु मण्डलों की स्थापना की, तब मुण्डस्थल के श्रावकों को भी व्यवस्था के कार्य में शामिल किया था ।
अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं है ।
कला और सौन्दर्य आज यहाँ पर कोई खास प्राचीन अवशेष प्राप्त नहीं हो रहे हैं । उल्लेखों के अनुसार यहाँ से कुछ प्राचीन प्रतिमाएँ बाहर मन्दिरों में भेज दी गई ।
मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन आबू रोड़ 10 कि. मी. है, जहाँ से बस व टेक्सी की सुविधा है। बस व कार मन्दिर तक जा सकती है । यहाँ से दंताणी 16 कि. मी. दूर है ।।
सुविधाएँ ठहरने के लिए धर्मशाला है । भोजनालय व ठहरने हेतु नुतन धर्मशाला का कार्य लगभग सम्पूर्णता में है ।
पेढ़ी 8 श्री कल्याणजी परमानन्दजी पेढ़ी, श्री मुण्डस्थल महातीर्थ पोस्ट : मुंगथला - 307026. जिला : सिरोही, प्रान्त : राजस्थान ।
श्री महावीर भगवान-मुण्डस्थल
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