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श्री आहोर तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री शान्तिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, (श्वे. मन्दिर)।
तीर्थ स्थल सुखडी नदी के किनारे बसे आहोर शहर के मुख्य बाजार से कुछ दूर ।
प्राचीनता 8 इस तीर्थ का इतिहास लगभग सातसौ वर्ष के पूर्व का माना जाता है ।
यहाँ के क्षत्रियवीरों ने वि. सं. 1365-68 में जालोर के शासक सोनगरा चौहान कान्हडदेव व अलाऊदीन के बीच हुवे भीषण युद्ध में अद्भुत वीरता का परिचय दिया था । इससे यह सिद्ध होता है कि यह शहर वि. सं. 1365 के पूर्व बस चुका था ।
यह आहोर शहर मारवाड़ के एक मशहूर समृद्ध ठिकाने में माना जाता था । यहाँ का राजकीय ठिकाना मारवाड़ के एक प्रतिष्ठित ठिकाने में मारवाड़ राज्य के प्रथम कोटि के रियासतों में था । इसको प्रथम श्रेणी का दीवानी-फोजदारी हक, डंका निशान व सोना निवेश का मान प्राप्त था । ___ इस नगर के उत्थान व समृद्धि में जैन श्रावकों का भी हमेशा बड़ा हाथ रहा । यहाँ के समृद्धशाली श्रावकों ने कई मन्दिरों का भी निर्माण अवश्य करवाया ही होगा ।
वर्तमान में स्थित मन्दिरों में श्री शान्तिनाथ भगवान का मन्दिर, प्राचीनतम माना जाता है, इस मन्दिर का निर्माण वि. सं. 1444 में हुवा माना जाता हैं, परन्तु संभवतः उस समय जीर्णोद्धार होकर पुनः प्रतिष्ठा हुई हो । अंतिम जीर्णोद्धार वि. सं. 1997 में हुवा । __ विशिष्टता 8 श्री शान्तिनाथ भगवान का प्राचीन मन्दिर विशुद्ध परमाणुओं से ओतप्रोत मंगलमय आशीष देता हुवा यहाँ की गौरवपूर्ण गरिमामयी पूर्व इतिहास की याद दिलाता नजर आता है ।
चमत्कारिक घटनाओं के साथ निर्मित श्री गौडी पार्श्वनाथ भगवान का बावन जिनालय मन्दिर अपनी विशालता एवं चमत्कारिक घटनाओं के लिये विख्यात है यह यहाँ की विशेषता है ।
कहा जाता है कि यहाँ श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान के मन्दिर का निर्माण होकर श्री पार्श्वप्रभु की अलौकिक
श्री गौड़ी पार्श्वनाथ भगवान
श्री गौड़ी पार्श्वनाथ मन्दिर दृश्य-आहोर
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