________________
श्री कोलरगढ़ तीर्थ
तीर्थाधिराज # श्री आदिनाथ भगवान, श्वेत वर्ण पद्मासनस्थ, लगभग 75 सें. मी. ।
तीर्थ स्थल दूर पहाड़ियों के बीच |
प्राचीनता
सिरोही से लगभग 10 कि. मी.
यहाँ की प्राचीनता का प्रमाणिक इतिहास मिलना तो कठिन है, लेकिन प्रतिमा की कलात्मकता व इस स्थल का अवलोकन करने से यह तीर्थ अति प्राचीन प्रतीत होता है। यह भव्य, अति ही सुन्दर प्रतिमा श्री संप्रतिराजा के समय भराई मानी जाती है। मन्दिर में वि. सं. 1721 का लेख उत्कीर्ण है। उस समय मन्दिर का जीर्णोद्धार होने का अनु
368
है । वि. सं. 1858 में श्रेष्ठी श्री जवानमलजी द्वारा पुनः जीर्णोद्धार करवाने का उल्लेख है। वर्तमान में लगभग 20 वर्षों पूर्व प्रारंभ किया हुवा पुनः जीर्णोद्धार का कार्य कुछ वर्षों पूर्व सम्पूर्ण हुवा है ।
विशिष्टता इस तीर्थ की प्राचीनता के साथ-साथ यहाँ का विशिष्ट, अनूठा, प्राकृतिक वातावरण व प्रभु प्रतिमा की कलात्मकता यहाँ की मुख्यतः विशेषता है। तीर्थ के अवलोकन करने से प्रतीत होता है कि किसी समय यह एक समृद्धशाली महान् तीर्थ स्थल रहा होगा परन्तु विस्तृत इतिहास का पता नहीं लग रहा है। इस तीर्थ में पहुँचते ही राता महावीर, मीरपुर, दियाणा, मुछाला महावीर आदि तीर्थों का स्मरण हो आता है । स्वाध्याय के लिये अति उत्तम व अनुपम स्थल है। ऐसे प्राकृतिक दृश्यों से ओतप्रोत इस प्राचीन
श्री आदिनाथ भगवान मन्दिर कोलरगढ़