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________________ SJJAYJIHAR हस्ते हुई थी । कहा जाता है पहिले यहाँ के मूलनायक श्री शान्तिनाथजी भगवान थे । एक प्रचलित किंवदन्ति के अनुसार यह मन्दिर लगभग दो हजार वर्ष पूर्व राजा गंधर्वसेन द्वारा निर्माणित करवाया गया था । विशिष्टता प्रभु प्रतिमा अति ही चमत्कारिक है। कहा जाता है श्री अधिष्ठायक देव ने श्री गेमाजी श्रावक को स्वप्न में कहा कि बाली से दो मील दूर बसे सेला गाँव के तालाब में पार्श्वप्रभु की प्राचीन चमत्कारिक प्रतिमा है । जिसे यहाँ लाकर स्थापन कर। स्वप्न के आधार पर तालाब में खुदाई का कार्य करवाया गया व संकेतिक स्थान पर यह भव्य प्रतिमा प्रकट हुई । सेला गाँव के श्रावकों की इच्छा थी कि उसी गाँव में प्रतिष्ठा करवाई जाय । आखिर तय हुआ कि प्रभु प्रतिमा को लेजानेवाले बैल जिस तरफ चले श्री मनमोहन पार्श्वप्रभु जिनालय-बाली वहीं पर विराजित की जाय । बैलगाड़ी प्रभु प्रतिमा को लेकर बाली तरफ ही रवाना हुई । बाली में भव्य जिनालय का निर्माण करवाकर बड़े ही उल्लासपूर्वक श्री बाली तीर्थ प्रतिष्ठित करवाया गया । अन्य मन्दिर , वर्तमान में इसके अतिरिक्त 3 तीर्थाधिराज श्री मनमोहन पार्श्वनाथ भगवान, और मन्दिर हैं । श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 78 सें. मी. कला और सौन्दर्य * प्रभु प्रतिमा अति ही (श्वे. मन्दिर) । सौम्य व प्रभावशाली हैं । मन्दिर की निर्माण शैली भी तीर्थ स्थल 8 बाली गाँव के मध्य भाग में । निराले ढंग की अति ही सुन्दर हैं । श्री आदीश्वर प्राचीनता यह अति प्राचीन गाँव है । कहा भगवान के मन्दिर में राता महावीर भगवान की जाता है पहिले यह गाँव चौहान राजाओं के अधिकार सुनहरी प्रतिमा अति ही सुन्दर दर्शनीय है । में रहा । पश्चात् जालोर के सोनागरा सरदारों के मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन अधिपत्य में रहा व तत्पश्चात् मेवाड़ के महाराणाओं के फालना लगभग 8 कि. मी. है, जहाँ से बस व टेक्सी अधिकार में आया । का साधन है । यहाँ का बस स्टेशन मन्दिरों से करीब मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथ भगवान की 100 मीटर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है । कार प्रतिमा के परिकर पर सं. 1161 ज्येष्ठ कृष्णा 6 का व बस मन्दिर तक जा सकती है । लेख उत्कीर्ण है । यह प्रतिमा बाली से लगभग 2 मील ठहरने के लिए धर्मशाला है । जहाँ दूर बसे सेला गाँव के तालाब में से प्रकट हुई थी। बिजली, पानी, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र व इस प्रतिमा के प्रतिष्ठाता संडेरकगच्छीय आचार्य श्री भोजनशाला की सुविधा है । यशोभद्रसूरीश्वरजी होने का अनुमान है । पेढ़ी 8 श्री मनमोहन पार्श्वनाथ जैन लगभग 300 वर्ष पूर्व इस मन्दिर का नव निर्माण देवस्थान पेढ़ी, पार्श्वनाथ चौक । करवाकर यह प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाई गई । वर्तमान पोस्ट : बाली - 306 701. जिला : पाली (राज.), में लगभग बीस वर्ष पूर्व पुनः जीर्णोद्धार करवाया गया। फोन : 02938-22029. यहाँ एक और श्री आदीश्वर भगवान का मन्दिर है, जिसकी प्रतिष्ठा आचार्य श्री हीरविजयसूरीश्वरजी के 352
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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