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प्रकाशकीय हमारा श्री जैन प्रार्थना मन्दिर ट्रस्ट, मुख्य छात्र-छात्राओं में सुसंस्कारमय जीवन का निर्माण करने, उन्हें निरन्तर प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त होता रहने व साथ ही साथ आम समाज को भी पूजा-सेवा-दर्शन का लाभ मिलता रहे, उसीको ध्यान में रखकर श्री महावीर जैन कल्याण संघ द्वारा अपने ही इस प्रांगण में प्रारंभ किये गये श्री जैन प्रार्थना मन्दिर का निर्माण कार्य करने व उसके सुसंचालन करने व अन्य धार्मिक उद्देश्यों के साथ श्री महावीर जैन कल्याण संघ के निर्देशनानुसार, प्रथक गढन कर रजिस्टर करवाया गया था ।
"तीर्थ-दर्शन" पावन ग्रंथ को पुनः व आगामी प्रकाशन हेतु श्री महावीर जैन कल्याण संघ ने हमारे ट्रस्ट से अनुरोध किया । यह कार्य अति ही विशाल जटिल व जिमेवारी का होते हुवे भी कार्य धार्मिक क्षेत्र का मुख्यतः तीर्थ स्थलों के प्रचार-प्रसार का रहने, इस पावन ग्रंथ के कार्य हेतु प्रारंभ से मुख्य आशीषदाता श्री पार्श्वप्रभु, आधेष्टायक श्री धरणेन्द्र-पद्मावती व योगीराज श्रीमद् विजय शांतीसूरीश्वरजी गुरु भगवंत हमारे इस प्रार्थना मन्दिर के नायक प्रारंभ से हमारे आशीषदाता रहने एवं इस पावन कार्य के प्रारंभ से प्रेरक संशोधक व संपादक आदि हमारे संस्थापक मानद मंत्री श्री यू. पन्नालालजी वैद ही रहने के कारण हमारे ट्रस्ट ने मंजूरी प्रदान की व भगवान महावीर की 26वीं जन्म शताब्दी के पावन अवसर पर प्रकाशन करने का निर्णय लिया गया ।
इस कार्य को संभालते ही आगे बढ़ाने हेतु प्रथम कई प्रेसो से सम्पर्क साधकर भारत में उच्चतम स्तर की मानी जाने वाली प्रेस निर्धारित की गई । उच्च स्तर के पेपर का भी इंतजाम किया गया ।
कल्पतरुसम यह पावन ग्रंथ हर घर में पहुँच सके उसको ध्यान में रखकर यथाशक्य कम लागत रखने का निर्णय लेकर अग्रीम बुकिंग हेतु रुपये आठ सौ एक मात्र प्रति सेट के रखे गये ।
हम चाहते थे कि बुकिंग के आधार पर ही ग्रंथ की प्रतियाँ छपाई जाय अतः अग्रीम बुकिंग का श्री गणेश हमारे प्रार्थना मन्दिर में ही श्री पार्श्वप्रभु के सन्मुख भक्ति-भावना व दीप प्रज्वलता के साथ हर्षोल्लासपूर्वक किया गया । बुकिंग की अन्तीम तारीख 31.12.2000 रखी गई । बुकिंग की आम जानकारी पोस्टरों आदि द्वारा सभी तीर्थ स्थलों के मारफत व गुरु भगवंतो के मारफत सभी जगह दी गई। अकबार आदि में भी विज्ञापन दिया गया । प्रचार-प्रसार के लिये समय कुछ कम रहने के कारण यह भी स्पेशल तौर से निर्णय लेकर आम जाहिर किया गया कि कम से कम 108 ग्रंथों की बुकिंग करने या करवाने वालों के नाम सहयोगी के तौर पर इस पावन ग्रंथ में छापे जायेंगे । हालांकि इस बार इस ग्रंथ में पृष्ट मुद्रण दाता का नाम भी नहीं रखा है न शुभेच्छु, सहयोगी आदि के रुप कोई नाम । हम चाहते हैं कि ग्रंथ के अवलोकन के समय पाठक या दर्शक का ध्यान किसी भी कारण विचलित न होकर एकाग्रतापूर्वक प्रभु में तल्लीन रहे जिससे उनको पूण्य-निर्जरा का लाभ पूर्ण तौर से मिल सके ।
हमारे मानद मंत्री महोदय श्री यू. पन्नालालजी वैद जो पूर्व से ही इसके संशोधक, सम्पादक आदि है, अग्रीम बुकिंग करवाने के कार्य में साथ रहने के साथ-साथ तीर्थ-स्थलों से वर्तमान स्थिती की जानकारी पाने, नये फोटु मंगवाने कोई रहे हुवे प्राचीन तीर्थ-स्थलों की जानकारी पाने, संशोधन व सम्पादन करने, पूरे मेटर का पुनः टाइप सेटिंग करवाने में निरन्तर निःस्वार्थ जुटे हुवे रहे । उनके कठिन परिश्रम का परिणाम ही आज हमारे सामने है।
उनका व उनके सहयोगियों का मै अत्यन्त आभारी हूँ व हार्दिक धन्यवाद देता हूँ व प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि भविष्य में भी ऐसे अनुपम कार्य करने की शक्ति उनमें प्रदान करें ।
सभी तीर्थ-स्थलों के व्यवस्थापकों, कर्मचारियों 108 ग्रंथो की अग्रीम बुकिंग करने व करवाने वाले महानुभावों बुकिंग करवाने में सहयोग देनेवाले मद्रास के सभी मन्दिरों के व्यवस्थापकों व अन्य व्यक्तिगत महानुभावों को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ जिनके सहयोग के कारण कार्य सुलभ हो सका ।
___ श्री महावीर जैन कल्याण संघ के सभी पदाधिकारियों, सदस्य महानुभावों को भी हार्दिक धन्यवाद देता हूं जिन्होंने ऐसे पुनित कार्य को करने का मौका हमें दिया और सहयोग देते रहे । हमारे सभी ट्रस्टीगणों को भी हार्दिक धन्यवाद देता हूं जिन्होंने भी इस कार्य में रुचि लेकर भाग लिया । ____अंत में जिनेश्वर देव, अधिष्टायकदेव व गुरु भगवन्तों से प्रार्थना करता हूँ कि आपका शुभ आशीष हमपर निरन्तर बना रहे व ऐसे पुनित कार्यों का सुअवसर हमें प्राप्त होता रहे इसी शुभ कामना के साथ
वास्ते, श्री जैन प्रार्थना मन्दिर ट्रस्ट, (रजि.) जी. विमलचन्द झाबख I.R.S. (Rtd.)
अध्यक्ष चेन्नई, मार्च 2002