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________________ श्री चम्पापुरी तीर्थ तीर्थाधिराज * 1. श्री वासुपूज्य भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण लगभग 45 सें. मी. (श्वेताम्बर मन्दिर ) । 2. श्री वासुपूज्य भगवान, पद्मासनस्थ, मुँगावर्ण, लगभग 97 सें. मी. (दिगम्बर मन्दिर ) । तीर्थ स्थल भागलपुर स्टेशन के निकट गंगा नदी किनारे चम्पा नाला के पास जिसे चम्पानगर (चम्पापुरी) कहते हैं । प्राचीनता * भगवान श्री आदिनाथ ने देश को 52 जनपदों में विभाजित किया था, उनमें अंग जनपद भी एक था । चम्पा अंग जनपद की राजधानी थी । वर्तमान चौबीसी के बारहवें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य भगवान के पाँचों कल्याणक इस पावन भूमि में हुए किसी समय यह नगर मीलों तक फैला हुआ अत्यन्त वैभवसम्पन्न था । एक समय राजा श्री वासुपूज्यजी यहाँ राज्य करते थे । उनकी रानी का नाम जयादेवी था । ज्येष्ठ शुक्ला नवमी के दिन रानी जयादेवी ने तीर्थंकर जन्मसूचक महास्वप्न देखे, उसी क्षण पद्मोतर का जीव पूर्व के दो भव पूर्ण करके माता जयादेवी की कुक्षी में प्रवेश हुआ। गर्भकाल पूर्ण होने पर फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशी के दिन महिष लक्षण युक्त पुत्र का जन्म हुआ। बालक का नाम वासुपूज्य रखा गया । इन्द्रादिदेवों ने जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया । राज्य दरबार में बधाइयाँ बॅटने लगीं । यौवनावस्था को प्राप्त होने पर माता-पिता द्वारा विवाह करने के लिये काफी समझाया गया परन्तु प्रभु ने मंजुरी नहीं दी व संसार को असार समझकर वर्षीदान देते हुए छट्ट तप सहित दीक्षा ग्रहण की । प्रभु विहार करते हुए पुनः यहाँ के उद्यान में पधारे व पाटल वृक्ष के नीचे ध्यानावस्था में रहते हुए केवलज्ञान प्राप्त किया । प्रभु धर्मोपदेश देते हुए आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी के दिन उतराषाढ़ा नक्षत्र में छः सौ मुनियों के साथ अनशन व्रत में यहीं पर मुक्ति पद को प्राप्त हुए (दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान का जन्म फाल्गुन माया लाम श्री वासुपूज्य भगवान (श्वे.) चम्पापुरी शुक्ला चतुर्दशी, व मोक्ष फाल्गुन कृष्णा पंचमी को हुआ बताया जाता है ।) भगवान श्री पार्श्वनाथ व श्री महावीर भगवान का भी यहाँ पदार्पण हुआ था । पश्चात् प्रभु महावीर के पट्टधर श्री सुधर्मास्वामी व श्री जम्बुस्वामी ने भी यहाँ पदार्पण किया था । मगध नरेश श्री श्रेणिक, बिम्बसार) के पुत्र कुणिक 73
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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