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द्वारा इस योजना को स्वरूप दिया गया । साध्वी श्री चन्दनाजी मुख्य कार्यवाहिका है । वीरायतन का उद्देश्य स्वस्थ एवं रचनात्मक जीवन के विकास की व्यवस्था है। आरोग्य केन्द्र, गोसदन, पुस्तकालय, पढ़ाई व उद्योग केन्द्र की रूपरेखा है ।
विशिष्टता * बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान के चार कल्याणक इस पावन भूमि में हुए । पराक्रमी, जग विख्यात, दयावान, धर्मनिष्ठ, भगवान महावीर के मुख्य श्रोता, मगधपति श्री श्रेणिक महाराजा यहाँ हुए जिन्होंने अपने शुभ कार्यों से तीर्थंकर गौत्र उपार्जन किया, जो भावी चौबीसी के प्रथम तीर्थंकर श्री पद्मनाभ स्वामी होंगे-ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है । भगवान महावीर के ग्यारह गणधर भी यहीं वैभारगिरि से मोक्ष सिधारे । इनमें नव गणधर भगवान महावीर के समय ही मोक्ष सिधार चुके थे व गौतम स्वामीजी एवं सुधर्मास्वामीजी भगवान के निर्वाण के बाद मोक्ष सिधारे ।
दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान महावीर ने केवलज्ञान के पश्चात् श्रावण कृष्णा प्रतिपदा के दिन प्रथम देशना यहीं विपुलगिरि पर्वत पर दी थी । इन्द्रभूति श्री गौतमस्वामी प्रथम देशना से प्रभावित होकर यहीं प्रथम गणधर बने । (श्वेताम्बर मान्यतानुसार पावापुरी में प्रथम देशना हुई थी)। ___ भगवान महावीर के चौदह चातुर्मास इस पावन भूमि में हुए । उस काल में प्रभु की अमृतमयी वाणी से अनेक भव्य आत्माओं का कल्याण हुआ जो अवर्णनीय है । __ श्री मेतार्य, अर्हभुता, धन्ना, शालिभद्र, श्री मेघकुमार,
श्री चन्द्रप्रम भगवान - श्वेताम्बर मन्दिर, रत्नगिरि (राजगृही) श्री अभयकुमार, श्री नन्दीषेण, श्री अर्जुनमाली, श्री कयवन्नासेठ, श्री जम्बूस्वामी, श्री प्रभाष, श्री शय्यंभवसूरि, पुणिया श्रावक आदि महान पुण्य आत्माओं की भी यही जन्मभूमि है, जिनके कार्य की अमर गाथाएँ आज भी
तलहटी की धर्मशाला से चलकर कुछ दूर जाने पर जन-जन में गाई जाती है । भगवान बुद्ध का भी यही ।
गर्म जल के कुण्ड आते हैं । यहाँ से कुछ आगे चलने खास स्थान रहा । यहाँ के वैभारगिरि की सप्तपर्णी
पर प्रथम विपुलगिरि पर्वत की चढ़ाई प्रारम्भ होती है। गुफा में बौद्ध साधुओं का प्रथम सम्मेलन हुआ था
लगभग 2/2 कि. मी. और चलने पर इस विपुलगिरि जिसे प्रथम संगीति कहते हैं।
पर्वत की ट्रॅक आती है । दिगम्बर मान्यतानुसार इन कारणों से यहाँ के पाँचों पर्वतों का एक-एक भगवान महावीर की प्रथम देशना यहाँ हुई थी । इस कण महान पवित्र है । ऐसे पवित्र स्थान की कम से पर्वत पर श्वेताम्बर व दिगम्बर मन्दिर हैं । एक और कम जिन्दगी में एक बार यात्रा करने से वंछित न रहें। विशाल दिगम्बर मन्दिर भगवान महावीर की प्रथम आइये हम भी इस यात्रा का स्मरण कर लें । देशना स्मारक स्वरूप बना हुवा हैं ।